न्यायाधीशों के मेडिकल बिलों की जानकारी सूचना का अधिकार कानून के तहत नहीं दी जा सकती : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि न्यायाधीशों और उनके परिजनों के चिकित्सीय खर्चो की जानकारी सूचना का अधिकार कानून के तहत मुहैया नहीं करायी जा सकती. न्यायालय ने कहा कि निजता का कुछ तो सम्मान होना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, निजता का कुछ तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2015 6:19 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि न्यायाधीशों और उनके परिजनों के चिकित्सीय खर्चो की जानकारी सूचना का अधिकार कानून के तहत मुहैया नहीं करायी जा सकती. न्यायालय ने कहा कि निजता का कुछ तो सम्मान होना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, निजता का कुछ तो सम्मान होना चाहिए और यदि इस तरह की सूचना मुहैया करायी जाने लगी तो फिर इसका कोई अंत नहीं होगा. न्यायाधीशों ने कहा, आज चिकित्सा खर्चो की जानकारी मांगी जा रही है. कल न्यायाधीशों द्वारा खरीदी गयी दवाओं के बारे में पूछा जायेगा. फिर दवाओं की सूची होगी तो फिर यह पता लगाया जा सकता है कि न्यायाधीश किस तरह की बीमारी से ग्रस्त है. यह इसी तरह शुरू होता है. यह कहां जाकर थमेगा.

पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के मेडिकल बिलों के भुगतान का विवरण मुहैया कराने के लिये दायर याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि यह व्यक्तिगत जानकारी है और इसे उपलब्ध कराने का मतलब उनकी निजता में दखल देना है. शीर्ष अदालत आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल की अपील पर सुनवाई कर रहा था. उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 17 अप्रैल के फैसले को चुनौती दी थी. खंडपीठ ने सूचना का अधिकार कानून के तहत न्यायाधीशों और उनके परिजनों के मेडिकल बिलों के भुगतान की जानकारी मुहैया कराने से इंकार करने संबंधी एकल न्यायाधीश के निर्णय को सही ठहराया था.
एकल न्यायाधीश ने केंद्रीय सूचना आयोग के इस निर्देश को निरस्त कर दिया था कि न्यायाधीशों को इस सूचना को सार्वजनिक करना होगा. शीर्ष अदालत वकील प्रशांत भूषण के इस तर्क से सहमत नहीं हुई कि चूंकि नागरिक अन्य लोकसेवकों द्वारा खर्च किये गये जनता के धन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के हकदार हैं, इसलिए उन्हें न्यायाधीशों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे धन के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है.

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