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अध्यादेश को लेकर कांग्रेस- भाजपा में तनातनी

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से दोषी सांसदों और विधायकों संबंधी विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने की संभावना के संकेत मिलने के बीच इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच आज वाक युद्ध तेज हो गया.विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसे अपनी जीत करार दिया है जबकि सत्तारुढ दल ने उस पर […]

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से दोषी सांसदों और विधायकों संबंधी विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने की संभावना के संकेत मिलने के बीच इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच आज वाक युद्ध तेज हो गया.विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसे अपनी जीत करार दिया है जबकि सत्तारुढ दल ने उस पर अपने सुर बदलने का आरोप लगाया है.

भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘‘ भाजपा का दबाव जीत गया और देश के लोगों की राय जीत गई. यह राहुल गांधी का निर्णय नहीं है क्योंकि उनकी राय वही थी जो कांग्रेस की राय थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह राहुल गांधी की पहल नहीं है. यह उच्चतम न्यायालय और लोगों की राय तथा विपक्ष के दबाव की जीत है.’’

संसदीय मामलों के मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ ने इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा उस समय एकमत थी जब जनप्रतिनिधत्व अधिनियम की धारा 8(4) के मामले को सामने लाने का निर्णय लिया गया था. इसके तहत सांसदों और विधायकों को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगाने की अपील करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी गई थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था. नाथ ने कहा, ‘‘ भाजपा अपना रख बदलती रहती है. वे बैठक में कोई काम करेंगे, सार्वजनिक तौर पर कोई और काम करेंगे और निजी तौर पर कोई और काम करेंगे. यह भाजपा के काम करने का पुराना अंदाज है.’’

भाजपा ने कहा, अध्यादेश वापस लेना पीएम का अपमान
दागी नेताओं पर अध्यादेश को लेकर प्रधानमंत्री पसोपेश में हैं. जिस अध्यादेश को सरकार ने जारी किया था, उस अध्यादेश को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बकवास बता दिया. आज शाम कैबिनेट इस अध्यादेश के भविष्य पर फैसला लेगा, इससे पहले राहुल ने पीएम से मुलाकात की और कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक भी हुई.

सूत्रों के हवाले से जो खबरें सामने आ रही हैं, उनसे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अध्यादेश को वापस ले लेगी. इस संदर्भ में भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अगर सरकार अध्यादेश वापस लेती है, तो यह एक तरह से प्रधानमंत्री का अपमान है. हालांकि भाजपा अध्यादेश को वापस लिये जाने के पक्ष में है. जबकि सरकार की सहयोगी सपा का मानना है कि सरकार को अध्यादेश वापस नहीं लेना चाहिए.

वहीं जदयू नेता केसी त्याग ने कहा कि अगर पार्टी चाहती है कि प्रधानमंत्री अध्यादेश वापस लें, तो ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है, वही एनसीपी के नेता तारिक अनवर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सहमति के बाद ही अध्यादेश लाया गया था, अब मात्र राहुल गांधी के विरोध के कारण इसे वापस लिया जाना उचित नहीं मालूम पडता है.

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