नयी दिल्ली: राहुल गांधी के प्राधिकार की कांग्रेस के साथ-साथ सरकार पर जीत हुई है क्योंकि दोषी सांसदों पर विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल मजबूर हुआ.
मंत्रिमंडल का फैसला तब आया है जब कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने इस अध्यादेश को बकवास बताते हुए इसे फाड़कर फेंक देने की बात कही थी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में पिछला फेर-बदल गत अक्तूबर में हुआ था और उसपर भी राहुल की छाप दिखी थी क्योंकि युवा नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं. अध्यादेश मुद्दा राहुल की ओर से पहला हस्तक्षेप नहीं है बल्कि आने वाले महीनों में आम चुनाव से पहले पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव दिखने की चर्चा शुरु हो गई. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब कोई नया नेता उभरता है तो वह अकेले नहीं आता है, वह अपनी टीम लाता है.
गांधी ने इससे पहले भी हस्तक्षेप किया था और संप्रग के भीतर कानून की राह बदलवाई थी. उनमें से एक था जिस तरीके से सरकार किसानों की भूमि का अधिग्रहण करती है उसमें बदलाव करना था. इसके बाद ही पिछले महीने मॉनसून सत्र में नया भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित किया गया.