अध्यादेश मामले में राहुल की जीत
नयी दिल्ली: राहुल गांधी के प्राधिकार की कांग्रेस के साथ-साथ सरकार पर जीत हुई है क्योंकि दोषी सांसदों पर विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल मजबूर हुआ.केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज शाम हुई संक्षिप्त बैठक इस बात का बड़ा संदेश देती है कि राहुल के पास कितना प्राधिकार है. कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने […]
नयी दिल्ली: राहुल गांधी के प्राधिकार की कांग्रेस के साथ-साथ सरकार पर जीत हुई है क्योंकि दोषी सांसदों पर विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल मजबूर हुआ.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज शाम हुई संक्षिप्त बैठक इस बात का बड़ा संदेश देती है कि राहुल के पास कितना प्राधिकार है. कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने सर्वसम्मति से अध्यादेश को वापस लेने का समर्थन किया. इससे पहले पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कोर समूह की बैठक में हरी झंडी दे दी गई थी. बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे.मंत्रिमंडल का फैसला तब आया है जब कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने इस अध्यादेश को बकवास बताते हुए इसे फाड़कर फेंक देने की बात कही थी.
पार्टी में राहुल की बढ़ती हैसियत विगत एक वर्षों से दिखाई पड़ रही थी, खास तौर पर तब जब इस साल जनवरी में जयपुर चिंतन शिविर में उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष बनाया गया.केंद्रीय मंत्रिमंडल में पिछला फेर-बदल गत अक्तूबर में हुआ था और उसपर भी राहुल की छाप दिखी थी क्योंकि युवा नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं. अध्यादेश मुद्दा राहुल की ओर से पहला हस्तक्षेप नहीं है बल्कि आने वाले महीनों में आम चुनाव से पहले पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव दिखने की चर्चा शुरु हो गई. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब कोई नया नेता उभरता है तो वह अकेले नहीं आता है, वह अपनी टीम लाता है.
भाजपा के नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर से बढ़ती मांग के बावजूद कांग्रेस राहुल को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से बची है.गांधी ने इससे पहले भी हस्तक्षेप किया था और संप्रग के भीतर कानून की राह बदलवाई थी. उनमें से एक था जिस तरीके से सरकार किसानों की भूमि का अधिग्रहण करती है उसमें बदलाव करना था. इसके बाद ही पिछले महीने मॉनसून सत्र में नया भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित किया गया.
पार्टी उपाध्यक्ष बनाए जाने से कुछ समय पहले राहुल को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर फैसला करने के लिए पार्टी के विशेष समूह का अध्यक्ष बनाया गया.