व्यापमं घोटाले में कांग्रेस ने भाजपा पर दागे दस तीर, घोटाले में सीएम शिवराज को व केंद्रीय मंत्री के रिश्तेदार को लपेटा
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज व्यापमं घोटाले पर भाजपा पर करारा हमला बोला है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में व्यापमं घोटाले पर जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भारतीय जनता पार्टी से दस सवाल पूछे, वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि सब इंसपेक्टर अनामिका कुशवाहा को […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज व्यापमं घोटाले पर भाजपा पर करारा हमला बोला है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में व्यापमं घोटाले पर जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भारतीय जनता पार्टी से दस सवाल पूछे, वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि सब इंसपेक्टर अनामिका कुशवाहा को पिछले एक सप्ताह से अनजान व्यक्ति द्वारा धमकी दी जा रही थी. उन्होंने इस मौत को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्वभाविक बताये जाने से खारिज कर दिया. कांग्रेस ने कहा कि चौहान को अवलिंब पद से बरखास्त कर देना चाहिए, ताकि जांच सही रास्ते पर आगे बढ सके. वहीं, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि इस पूरे मामले में लोगों की हाथों में धूल धोखा जा रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि जून 2015 में इस घोटाले की जांच कर रहे एसटीएफ के अध्यक्ष चंद्रेश भूषण ने बयान दिया था कि मामले की जांच कर रहे एसटीएफ अधिकारियों को खुद की जान का खतरा है. कांग्रेस ने इस घोटाले में भाजपा के कई प्रमुख नेताओं के रिश्तेदारों व निकट सहयोगियों का नाम होने का भी उल्लेख किया.
कांग्रेस ने सवाल पूछते हुए दागे ये दस तीर :
1. सात साल में 76 लाख विद्यार्थी व्यापमं के जरिये परीक्षा में शामिल हुए. यह समय 2007 से 2013 तक का है. अत: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार व भाजपा को यह बताना चाहिए कि यह घोटाले उनकी जानकारी व सहभागिता के बिना कैसे चलता रहा.
2. पीएमटी घोटाले का पर्दाफाश 2009 में हुआ. मुख्यमंत्री, पुलिस, प्रशासन को इसकी जानकारी उसी समय मिली. ऐसे में राज्य के सर्वोच्च पदाधिकारियों की जानकारी के बिना यह कैसे जारी रहा.
3. मध्यप्रदेश की विधानसभा में जनवरी 2014 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया था. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि 17 दिसंबर 2009 को इस घोटाले की जांच के लिए कमेटी बनायी गयी. 27 जनवरी, 2011 को उसकी बैठक हुई. पर, उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. इस संबंध में जो रिपोर्ट आयी उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया.
4. शिवराज सिंह चौहान के निकट सहयोगी रहे तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा पर 2013 में इस मामले में एफआइआर हुई. छह माह बाद उनकी गिरफ्तारी हुई. शिवराज सिंह चौहान के निजी सचिव प्रेमचंद प्रसाद को भी इस मामले में एसआइटी व एसटीएफ ने गिरफ्तार किया. फिर जमानत मिल गयी. आखिर उनके निकट सहयोगी की कैसे इसमें संलिप्तता है.
5. शिवराज सिंह चौहान जिस एनजीओ के आज भी अध्यक्ष हैं, उसके उपाध्यक्ष डॉ अजय शंकर मेहता, मध्यप्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष कुलदीप शर्मा, शिवराज सिंह के समाज के अध्यक्ष गुलाब सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के रिश्तेदार सुरजीत सिंह भदौरिया भी इस मामले में आरोपी हैं. पर, उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है. क्या ऐसे में शिवराज सिंह चौहान तक घोटाले के तार नहीं पहुंचते हैं.
6. शिवराज सिंह चौहान स्वयं मेडिकल शिक्षा मंत्री थे, तो पीएमटी घोटाले की जांच उनके खिलाफ क्यों नहीं हो.
7. जब एसआइटी को स्वयं जान का खतरा है, तो वह प्रमाणिकता से इसकी जांच कैसे कर पायेगी.
8. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कल पत्रकार अक्षय सिंह मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी ऐसी ही बात कही. पर, कल ही शिवराज सिंह चौहान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया, तो क्या शिवराज सिंह अपनी ही सरकार की बात नहीं सुन रहे हैं. या फिर, अलग-अलग स्वर में बोलने का आरएसएस का जो क्लासिक तरीका है, उसे अपना रहे हैं और अलग-अलग बयान देकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं.
9. शिवराज सिंह चौहान कह रहे हैं कि हाइकोर्ट की जबलपुर बेंच का निर्देष है सीबीआइ जांच के विरुद्ध है. वे देश को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. हाइकोर्ट ने कभी सीबीआइ जांच से मना नहीं किया है.
10. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अविलंब इस मामले में पद से बरखास्त कर देना चाहिए. ताकि मामले की निष्पक्ष व त्वरित जांच हो.