बिहार विप के सदस्यों के कार्यकाल के बारे में हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगायी

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानपरिषद के कुल 24 स्थानों के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल निर्धारित करने का निर्देश निर्वाचन आयोग को देने संबंधी पटना हाई कोर्ट के फैसले सोमवार को रोक लगा दी है. गौर हो कि विधान परिषद के इन सदस्यों का निर्वाचन कल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2015 7:19 PM

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानपरिषद के कुल 24 स्थानों के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल निर्धारित करने का निर्देश निर्वाचन आयोग को देने संबंधी पटना हाई कोर्ट के फैसले सोमवार को रोक लगा दी है. गौर हो कि विधान परिषद के इन सदस्यों का निर्वाचन कल होना है.

प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विधान परिषद के लिये कल होने वाले चुनावों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए निर्वाचन आयोग का यह सुझाव स्वीकार कर लिया कि निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल का निर्धारण लाटरी के माध्यम से किया जा सकता है. खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, हम हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश के उस अंश पर रोक लगाते हैं जिसमे कोर्ट ने निर्देश दिया था कि निर्वाचन आयोग बिहार विधानपरिषद से परामर्श करके स्थानीय निकायों के लिए निर्धारित 24 सीटों के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल और दूसरे एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल चार साल और शेष सदस्यों का कार्यकाल छह साल निर्धारित करने के लिए 30 जून, 2015 तक अधिसूचना या संशोधन जारी करे.

निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा, निर्वाचन आयोग का मानना है कि यदि यह न्यायालय व्यवस्था देता है कि विधानपरिषद के एक तिहाई सदस्यों को अनुच्छेद- 172 के अनुरुप सेवानिवृत्त होना है और यह विधान परिषद के मौजूदा चुनाव (स्थानीय निकायों, पंचायत, नगर परिषद और निगमों द्वारा चुने गये प्रत्याशियों) के लिए प्रत्याशियों की श्रेणी पर भी लागू होना चाहिए तो चुनाव के बाद आयोग इस न्यायालय के निर्णय या निर्देशों के अनुरुप निर्वाचित सदस्यों को लाटरी के माध्यम से तीन श्रेणियों (दो साल, चार साल और छह साल के कार्यकाल) में वर्गीकृत करेगा.

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