नयी दिल्ली : रेलवे ने आज अपना 50,000वां डब्बा पेश किया जो भारतीय रेल के इतिहास की अहम उपलब्धि है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि हमें 1,00,000वें कोच के लिए अलग तरह से सोचना होगा.
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भारतीय रेल ने अपना 50,000वां रेल डब्बा पेश किया
नयी दिल्ली : रेलवे ने आज अपना 50,000वां डब्बा पेश किया जो भारतीय रेल के इतिहास की अहम उपलब्धि है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि हमें 1,00,000वें कोच के लिए अलग तरह से सोचना होगा. चेन्नई स्थित समन्वित कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में निर्मित कोच को यहां से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश करते […]
चेन्नई स्थित समन्वित कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में निर्मित कोच को यहां से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश करते हुए प्रभु ने कहा कि यह फैक्टरी में 60 वर्ष पहले तैयार कोच से पूरी तरह अलग है.उन्होंने कहा, गुणवत्ता, आंतरिक सज्जा, गति, ईधन की खपत, ध्वनि में कमी आदि के संदर्भ में कोच निर्माण प्रौद्योगिकी में पिछले 60 वर्षो में काफी बदलाव किया गया है.
प्रभु ने राष्ट्र को 50,000वां कोच समर्पित किया जो तीसरी श्रेणी का वातानुकूलित कोच है. रेल मंत्री ने कहा,1,00,000वां कोच आज तैयार कोच से पूरी तरह से अलग होगा क्योंकि प्रौद्योगिकी में बदलाव आ रहा है और हमें अलग तरीके से सोचना होगा. प्रभु ने रेलवे के पूरी तरह से सौर उर्जा से संचालित ट्रेन का निर्माण करने की योजना पर भी जोर दिया.
उन्होंने कहा,हमारी योजना इस केंद्र से एक ऐसी ट्रेन का निर्माण करने की है जो पूरी तरह से सौर उर्जा से संचालित हो. अभी रेवाडी..सीतापुर के बीच एक पैसेंजर ट्रेन छत पर लगे सौर उर्जा पैनल से चल रही है.
मंत्री ने इस अवसर पर 50,000वें कोच को तैयार करने में शामिल आईसीएफ कर्मचारियों को पांच लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा की.
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