नकली पोस्टल एजेंट से बाबा बना, दस साल बाद सीबीआई के हत्थे चढा

नयी दिल्ली: पोस्टल एजेंट के रुप में फर्जी किसान विकास पत्र बेचकर लोगों को ढाई करोड रुपए से अधिक का चूना लगाने के बाद साधू बनकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दस साल तक छकाने वाला बद्रीनाथ का स्वामी दुर्गेश महाराज आखिरकार कानून की गिरफ्त में आ ही गया. सीबीआई अधिकारियों की एक टीम ने दुर्योधन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2015 3:10 AM

नयी दिल्ली: पोस्टल एजेंट के रुप में फर्जी किसान विकास पत्र बेचकर लोगों को ढाई करोड रुपए से अधिक का चूना लगाने के बाद साधू बनकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दस साल तक छकाने वाला बद्रीनाथ का स्वामी दुर्गेश महाराज आखिरकार कानून की गिरफ्त में आ ही गया.

सीबीआई अधिकारियों की एक टीम ने दुर्योधन मिश्र उर्फ दुर्गेश महाराज को गिरफ्तार कर लिया जो बद्रीनाथ में साधु के वेष में रह रहा था.मधुबनी निवासी मिश्र 1990 के दशक में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कोलकाता में रहता था और किसान विकास पत्र आदि के लिए पोस्टल एजेंट का काम करता था.

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मिश्र ने कोलकाता में एक डाक सहायक तथा एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर कथित तौर पर 2.63 करोड रुपए मूल्य के 263 फर्जी किसान विकास पत्र जारी किए.सीबीआई के अनुसार इससे मिली राशि को तीनों ने आपस में बांट लिया. सीबीआई ने 2004 में जांच का जिम्मा संभाला और इसमें तीनों के बीच सांठगांठ का खुलासा हुआ. उस समय तक मिश्र अपने परिवार के साथ कोलकाता से भाग चुका था.

सीबीआई भगोडों की तलाश करती रही और इस कडी में मिश्र के परिवार के जोधपुर में होने का पता लगा. लेकिन मिश्र का कोई पता नहीं लगा.सीबीआई ने मिश्र के परिवार की निगरानी जारी रखी और इस क्रम में उसे पता लगा कि मिश्र की पत्नी को रात में नियमित रुप से दो नंबरों से फोन आते हैं. दोनों नंबर बद्रीनाथ के थे और उत्तराखंड में महिलाओं के नाम पर जारी किए गए थे.

नंबर के सहारे सीबीआई के अधिकारी भक्तों के वेष में बद्रीनाथ पहुंचे और ‘बाबा’ को धर लिया. सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि एजेंसी ने उसके बारे में जानकारी देने पर 50 हजार रुपए का इनाम रखा था. 2005 में कोलकाता की एक अदालत ने उसे भगोडा घोषित कर दिया था.

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