नयी दिल्ली: जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि भंडाफोड करने वाले लोगों द्वारा उन्हें मुहैया किए गए सारे दस्तावेजों के बोझ से वह दबे हुए हैं और उन्होंने जनहित में उनकी इन फाइलों की सुरक्षा के लिए एक ‘विश्वसनीय संस्था’ बनाने की मांग की.
उन्होंने न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी, ‘‘आज मैं बोझ से दबा हुआ हूं. लोगों को लगता है कि मैं अकेले कर सकता हूं और वे मुझे दस्तावेज भेज देते हैं. यह मेरे लिए संभव नहीं है कि अकेले ही सबकुछ करुं. एक विश्वसनीय संस्था की जरुरत है.’’
उन्होंने कहा कि नागरिकों की एक विश्वसनीय संस्था का गठन के जरिए भंडाफोड करने वालों (व्हिसलब्लोअर) के लिए दायरा बढाने की जरुरत है जहां वे सूचना मुहैया कर सकें.
भूषण ने कहा कि भंडाफोड करने वाले लोगों की सुरक्षा के बारे में शीर्ष न्यायालय के दशक भर पुराने निर्देशों के बावजूद कुछ भी नहीं हुआ है और जब कभी केंद्रीय सतर्कता आयोग को उनके द्वारा कोई सूचना भेजी जाती है तो यह सामान्यतया पहचान छिपा देता है और मुद्दे को वापस संबद्ध विभागों को वापस भेज देता है.