व्यापमं घोटाला, शिवराज सिंह चौहान और सीबीआई जांच
नयी दिल्ली : व्यापमं घोटाले ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुश्किलों में डाल रखा है. विपक्ष के लगातार प्रहार के बीच वे आखिर सीबीआइ जांच के लिए तैयार हो गये हैं. जानकारों की माने तो इस मुद्दे पर उन्होंने अपने मंत्रिमंडल से इस बाबत बात की लेकिन वे किसी निष्कर्ष पर नहीं […]
नयी दिल्ली : व्यापमं घोटाले ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुश्किलों में डाल रखा है. विपक्ष के लगातार प्रहार के बीच वे आखिर सीबीआइ जांच के लिए तैयार हो गये हैं. जानकारों की माने तो इस मुद्दे पर उन्होंने अपने मंत्रिमंडल से इस बाबत बात की लेकिन वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके. अंतत: सुप्रीम कोर्ट के दबाव में उन्होंने इस मामले को सीबीआइ के हवाले करने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले की याचिका स्वीकार कर ली जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान को अंतिम फैसला करना पड़ा. इधर, मंगलवार को शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा कि बीती रात वे सोये नहीं और उन्होंने आत्मचिंतन किया.
क्या मीडिया के दबाव में आये चौहान
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिंता इसलिए और बढ़ गई क्योंकि इससे संबंधित लोगों की मौत एक के बाद एक होने लगी. इतना ही नहीं तीन दिन में लगातार तीन लोगों की मौत और उसपर मीडिया कवरेज ने मामले को व्यापक तौर पर प्रसारित किया. इस मामले को लेकर विपक्ष उनपर लगातार निशाना साध रही है और उनके इस्तीफे की मांग कर रही है.
शिवराज सिंह चौहान कीराजनीतिक साख
शिवराज सिंह चौहान केवल व्यापमं घोटाले को लेकर अपनी साख नहीं गंवाना चाहते हैं. उनके शासन काल में मध्यप्रदेश के मॉडल की तारिफ कई स्थानों पर हो चुकी है. कई कार्यक्रमों में चौहान के मध्यप्रदेश के मॉडल को गुजरात के मॉडल से बेहतर बताया गया है. नरेंद्र मोदी के द्वारा देश की बागडोर संभालने के पहले शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में से एक रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में भाजपा को नए आयाम तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने राज्य में अपनी अलख तो जलायी ही इसके साथ ही पार्टी को भी लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया. वे राजनीतिक रूप से कमाई गई पूंजी को केवल एक व्यापमं घोटाले की आंच में नहीं गंवाना चाहते हैं.
भाजपा में अंदरूनी राजनीति
व्यापमं घोटाले को लेकर भाजपा नेताओं में एकमतता दिखालायी नहीं दे रही है. पिछले दिनों भाजपा नेता उमा भारती का बयान कहीं न कहीं इस ओर इंगित कर रहा है कि इस मामले को लेकर पार्टी का एक धड़ा चौहान के साथ नहीं है. लेकिन जानकारों की माने तो अभी भी पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो शिवराज सिंह चौहान के साथ खड़े हैं. यही नहीं संघ का भरोसा भी उन्हें प्राप्त है.
पॉलिटिकल माइलेज लेना चाहते चौहान !
शिवराज सिंह चौहान मात्र एक व्यापमं घोटाले के कारण पार्टी में अपने कद को खोना नहीं चाहते हैं. हर हाल में वह इस संकट से बाहर आकर अपने को पाक साफ साबित करके अपनी साख को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं. जानकारों की माने तोजिस प्रकार गुजरात के बहुचर्चित कांड गोधरा में हर प्रकार की जांच की गई और नरेंद्र मोदी तक इसकी आंच नहीं पहुंच सकी. उसी प्रकार व्यापमं घोटाला को लेकर भी चौहान सीबीआइ जांच करवा कर इस मामले से खुद को अलग करना चाहते हैं. इस जांच के बाद चौहान पॉलिटिकल माइलेज लेना चाहते हैं जैसा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह (दोनों राजनीतिक मामले में सफल रहे हैं) ने लिया है.