सुप्रीम कोर्ट ने कहा,राडिया टेप सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम तक सीमित नहीं

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि कार्पोरेट घरानों के लिये संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ रिकार्ड की गयी टेलीफोन बातचीत की जांच पडताल से पता चलता है कि यह सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम तक सीमित नहीं थी और इससे रेलवे बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति सहित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2013 6:52 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि कार्पोरेट घरानों के लिये संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ रिकार्ड की गयी टेलीफोन बातचीत की जांच पडताल से पता चलता है कि यह सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम तक सीमित नहीं थी और इससे रेलवे बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति सहित अनेक पहलुओं के बारे में पता चलता है.

शीर्ष अदालत ने दस सदस्यीय समिति की गोपनीय रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि नेताओं, औद्योगिक घरानों और दूसरे लोगों के साथ राडिया की टेलीफोन बातचीत के विवरण की जांच से राष्ट्रीय सुरक्षा और रेलवे बोर्ड में सदस्यों की नियुक्तियों से संबंधित मसले का भी पता चलता है.न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा ने कहा कि रेलवे बोर्ड के सदस्य से संबंधित हालिया घटना के बारे में भी राडिया की रिकार्ड की गयी टेलीफोन वार्ता से पता चलता है. न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘वास्तव में धन का भुगतान किया गया है.’’ साथ ही न्यायाधीशों ने सचेत किया कि सिर्फ एक पक्षीय नजरिया नहीं होना चाहिए और इसकी गहन जांच होनी चाहिए क्योंकि यह बहुत ही गंभीर मामला है.


न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू के संबंध में रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है लेकिर बहुत ही गंभीर है और इस संबंध में टेलीफोन काल के विवरण की गहराई से छानबीन की आवश्यकता है. हम कोई ठोस सामग्री मिले बगैर इस संबंध में कुछ नहीं करना चाहेंगे.’’न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘वे एक अलग पहलू पर प्रकाश डाल रहे हैं. हमारा मानना था कि सब कुछ स्पेक्ट्रम आदि से ही संबंधित है लेकिन यह तो कहीं अधिक व्यापक और भिन्न है. कुछ मसलों को लेकर तो काफी गंभीर स्थिति है.’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में आपको (सीबीआई) बहुत ही सावधानी बरतनी होगी जिसके बारे मे हमने इंगित किया है. इस संबंध में ठोस तथ्य मिलने तक यह अटकल का मामला नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे राष्ट्रहित को नुकसान होता है. इसमें शामिल एजेन्सियों को इस मामले में गौर करने के लिये पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए.


न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हम इसी जांच दल को या आप जो दल चुने या फिर राडिया की बातचीत रिकार्ड करने वाली आय कर विभाग की शुरुआती टीम को रिकार्ड किये गये सारे टेप की जांच के लिये पर्याप्त समय देंगे.’’ न्यायालय ने इस मामले में मंगलवार को फिर सुनवाई करने का निश्चय किया है. इसके बाद ही न्यायालय राडिया के टेलीफोन रिकार्ड के टेप और उनके लिप्यांतरण का गहराई से जांच करने वाले विशेष जांच दल की शुरुआती जांच पर कोई आदेश देगा. अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पारस कुहाड ने कहा कि जांच के दायरे में आये बातचीत के कुछ बिन्दुओं से अपराधिता के कुछ अंश परलक्षित होते हैं और इस संबंध में भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत मामले दर्ज किये जा सकते हैं. न्यायालय ने कुहाड से कहा कि इस रिपोर्ट को आय कर विभाग की ओर से पेश होने वाले दूसरे अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एल नागेश्वर राव के साथ भी साझा किया जाये.

गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि रिकार्ड की गयी बातचीत में सामने आये एक मामले को तो जांच ब्यूरो बंद करने वाला था. उन्होंने कहा कि हाइड्रोकार्बन के पूर्व महानिदेशक की पुत्री की शिक्षा के बारे में पर्याप्त साक्ष्य थे कि एक औद्योगिक घराने ने उसे पोषित किया था लेकिन जांच एजेन्सी इसे बंद करने का प्रयास कर रही है.भूषण ने कहा कि इस मामले की जांच की निगरानी शीर्ष अदलात को करनी चाहिए और व्यक्तिगत किस्म की बातचीत के अलावा शेष बातचीत के रिकार्ड सार्वजनिक किये जाने चाहिए. न्यायालय ने कहा कि 22 अक्तूबर को टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा की याचिका पर भी विचार किया जायेगा. रतन टाटा ने निजता के अधिकार का सवाल उठाते हुये टैप की गयी बातचीत लीक के लिये कथित रुप जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया है.

Next Article

Exit mobile version