श्रीहरिकोटा : नये युग में प्रवेश करते हुए भारत ने आज अपने पीएसएलवी वाहन से सबसे वजनी व्यावसायिक अंतरिक्ष मिशन को प्रक्षेपित कर पांच ब्रिटिश उपग्रहों को उनकी निश्चित कक्षाओं में स्थापित किया.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी-सी28 ने पांच ब्रिटिश उपग्रहों के साथ सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रात नौ बजकर 58 मिनट पर उड़ान भरी. उड़ान भरने के करीब 20 मिनट के बाद उसने पांचों उपग्रहों को ‘सौर-समकालिक’ कक्षा में स्थापित किया. पीएसएलवी-सी28 वाहन का पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण है.
मिशन की सफलता के बाद प्रसन्नता से भरे इसरो अध्यक्ष किरन कुमार ने बताया, ‘यह बहुत अच्छा मिशन रहा… बहुत सफल मिशन रहा. ‘ मिशन नियंत्रण केंद्र में एकत्र सभी वैज्ञानिक सफलता की खुशियां मना रहे थे. इस मिशन की आयु सात वर्ष है.
पांचों उपग्रहों का कुल वजन करीब 1,440 किलोग्राम था. इसरो और उसकी व्यावसायिक शाखा एन्ट्रक्सि कॉरपोरेशन द्वारा किया गया यह सबसे वजनी व्यावसायिक प्रक्षेपण है. पीएसएलवी की 30वीं उड़ान में तीन एक समान डीएमसी3 ऑप्टिकल पृथ्वी निगरानी उपग्रह थे जिनका निर्माण ब्रिटेन ने किया है. इसके साथ ही दो सहायक उपग्रह भी थे.
तीनों डीएमसी3 उपग्रहों, जिनमें प्रत्येक का वजन 447 किलोग्राम था, को पीएसएलवी-एक्सएल के आधुनिक संस्करण का उपयोग करते हुए सौर-समकालिक कक्षा में स्थापित किया गया. आज के सफल मिशन के साथ ही भारत ने अभी तक 19 देशों के कुल 45 उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित किया है. इसके साथ ही अरबों डॉलर के इस अंतरिक्ष बाजार में भारत एक महत्वपूर्ण देश बनकर उभरा है. पीएसएलवी ने अभी तक 45 विदेशी उपग्रहों सहित कुल 70 उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षाओं में स्थापित किया है.
इससे पहले भारत 5 टन के सैटेलाइट लांचिग के लिए विदेशी एजेंसियों को 500 करोड़ रुपये देता था. जबकि इसरो ने जनवरी 2014 में जीसैट-14 सिर्फ 200 करोड़ में लांच कर दिया. इसरो के कामर्शियल विंग का टर्नओवर 13 अरब रुपए हो गया है. इसरो अबतक 19 देशों के 40 सैटेलाइट लांच कर चुका है. तीन सैटेलाइट का वजन 447 किलोग्राम है .