विकिलिक्स का खुलासा : भारतीय खुफिया एजेंसियां इटली की स्पाईवेयर एजेंसी की सेवाएं लेती थी

नयी दिल्ली :अपने खुलासों के लिए मशहूर विकिलिक्स ने भारत खुफिया एजेंसियों के बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. विकलिक्सिकी हैकिंग टीम द्वारा हैक किये गये इमेल व दस्तावेजों अगर सच हैं तो उससे यह खुलासा हुआ है कि भारत की खुफिया एजेंसी व पूर्ववर्ती यूपीए सरकार इटली की उसजासूसी करने वाले उपकरण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2015 11:55 AM
नयी दिल्ली :अपने खुलासों के लिए मशहूर विकिलिक्स ने भारत खुफिया एजेंसियों के बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. विकलिक्सिकी हैकिंग टीम द्वारा हैक किये गये इमेल व दस्तावेजों अगर सच हैं तो उससे यह खुलासा हुआ है कि भारत की खुफिया एजेंसी व पूर्ववर्ती यूपीए सरकार इटली की उसजासूसी करने वाले उपकरण आपूर्तिकर्ता एजेंसी की क्लाइंट थी, जो अपने सर्विलांस साफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए जानी जाती है.
विकिलिक्स ने दो दिन पूर्व उस इटालियन सर्विलांस हैकिंग टीम से संबंधित कई इमेल रिलीज किये हैं, जिससे इस बात के संकेत मिलते हैं. भारतीय एजेंसियां आतंकवाद जैसे खतरों से निबटने व गोपनीयता के लिए इस एजेंसी की सेवाएं ले रही थीं.
इस एजेंसी के ये सर्विलांस साफ्टवेयर ऐसे हैं, जिसे कंप्यूटर, फोन जैसे उपकरण में फिड कर सामने वाले शख्स की आसानी से जासूसी की जा सकती है. यह कंपनी इटली के मिलान की है.
विकिलिक्स ने सैकडों वैसे इमेल जारी किये हैं, जिसके माध्यम से इसके हैकिंग टीम और इसके पार्टनर एनआइसीइ के बीच संवाद हुआ था. एनआइसीइ एक इजराइली कंपनी है, जिसे डाटा सुरक्षा व सर्विलांस में विशेषज्ञता हासिल है.
अंगरेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर में ऐसे ही एक इमेल का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि दिसंबर 2010 में इटली में भारतीय दूतावास के कामर्शियल विंग के वीके डिंगरा उस कंपनी के सेल्स मैनेजर मार्को बेटनी से आग्रह करते हैं कि आप नयी दिल्ली में अपने रिमोट कंट्रोल सिस्टम वी 6 व जासूसी करने वाले शॉफ्टवेयर का डिमांस्ट्रेशन करें. उन्होंने कंपनी के सेल्स मैनेजर से यह आग्रह भारत सरकार की ओर से किया था. दरअसल, यह आग्रह भारत खुफिया एजेंसी रॉ की ओर से किया गया था. इसके बाद उक्त कंपनी के प्रतिनिधि रॉ के अधिकारियों से मार्च 2011 में मिले.
इसी तरह एक इमेल फरवरी 2014 में भेजा गया है, जिसमें रॉ, एनआइए, आइबी और एनटीआरओ (नेशनल टैक्निकल रिसर्च ऑरगेनाइजेशन) का उल्लेख कस्टमर के रूप में किया गया है. इससे यह पता चलात है कि ये एजेंसियां इस कंपनी की ग्राहक थीं.
इमेल से यह भी पता चलता है कि कैबिनेट सेक्रेटरियेट भी हैकिंग टीम के इजराइली पार्टनर एनआइसीइ का ग्राहक था.
इमेल से यह भी पता चलता है कि पाकिस्तान भी उसका कस्टमर था. एक दूसरे इमेल से यह भी पता चलता है कि कई राज्यों के पुलिस के साथ भी हैकिंग टीम संपर्क में थी. राज्य उनसे सेलुलर इंटरसेप्सन में भी मदद चाहते थे.

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