राजस्थान में खुला मां के दूध का बैंक
राजस्थान : दुर्बल मां और कमजोर सेहत के साथ दुनिया में आये नवजात बच्चों के लिए राजस्थान के उदयपुर में दूध बैंक खोला गया है. दिव्या मदर मिल्क बैंक के नाम से खुले इस अनोखे बैंक ने शुरु आत में ही मां का 62 यूनिट यानी लगभग दो लीटर दूध जमा कर लिया. मां का […]
राजस्थान : दुर्बल मां और कमजोर सेहत के साथ दुनिया में आये नवजात बच्चों के लिए राजस्थान के उदयपुर में दूध बैंक खोला गया है. दिव्या मदर मिल्क बैंक के नाम से खुले इस अनोखे बैंक ने शुरु आत में ही मां का 62 यूनिट यानी लगभग दो लीटर दूध जमा कर लिया.
मां का यह दूध कुछ धाय माताओं ने बैंक को उपलब्ध कराया है. पच्चीस दिन की एक नन्ही गुड़िया वो पहली नवजात है, जिसे एक मां के आंचल से निकले इस दूध ने अपनी ख़ुराक से नवाजा है. एक गैर सरकारी संगठन मां भगवती विकास संस्थान के हाथों स्थापित यह दूध बैंक फिलहाल उदयपुर के सरकारी पन्ना धाय महिला अस्पताल से चल रहा है.
छह लीटर क्षमता
बैंक ने अपना काम शुरू किया ही था कि देखते ही देखते 62 यूनिट दूध जमा हो गये. बैंक की क्षमता छह लीटर है और अभी दो लीटर से कुछ अधिक मां का दूध जमा किया जा चुका है.
कमजोर बच्चों के लिए अमृत
संगठन के मुताबिक यह बैंक राजस्थान और उत्तर भारत का पहला ऐसा बैंक है, जहां मां का दूध संकलित किया जाता है और फिर उसे जरूरमंद नवजात शिशुओं को उपलब्ध करवाया जाता है. कई बच्चे समय से पहले पैदा हो जाते है और दुनिया में आते ही कोई न कोई बीमारी अपने उन्हें अपने आगोश में ले लेती है.
बैंक की संयोजक अर्चना शक्तावत कहती हैं कि हमारे लोग जगह-जगह जा कर इस बारे में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. कुछ माताएं इसे लेकर शंकित हैं. जाति भी एक मुद्दा है. हम महिलाओं को समझाते है कि जैसे रक्तदान है, वैसे ही मां का दूध दान किया जा सकता है.
बच्चों की जरूरत पर दिया जा रहा जोर
भारत में शिशु मृत्यु की हालत चिंताजनक है. आंकड़ों के मुताबिक पैदा होने वाले एक हजार बच्चों में से 46 बच्चे असमय दम तोड़ देते हैं. उनके लिए यह दूध रामबाण औषधि है. बैंक के आयोजकों का कहना है कि अभी उनकी नजर उदयपुर सरकारी अस्पतालों के गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती बच्चों पर है. इन बच्चों को ऐसे दूध की बहुत जरूरत रहती है.