कोर्ट का नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबध को अपराध की श्रेणी में रखने के लिये दायर याचिका पर विचार से इंकार
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध स्थापित करने को बलात्कार नहीं मानने संबंधी कानूनी प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि इसी तरह का एक मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत […]
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध स्थापित करने को बलात्कार नहीं मानने संबंधी कानूनी प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि इसी तरह का एक मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है.
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने कहा कि चूंकि यह मामला पहले से ही शीर्ष अदालत में विचाराधीन है, इसलिए हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं.इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल संजय जैन ने अदालत को सूचित किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में प्रदत्त अपवाद को लेकर पहले ही एक गैर सरकारी संगठन की याचिका शीर्ष अदालत में लंबित है. इस धारा के अनुसार, किसी पुरुष का 15 साल से कम उम्र की अपनी पत्नी से यौन संसर्ग बलात्कार नहीं है.
इस संगठन ने जनहित याचिका में दलील दी थी कि धारा 375 में यह अपवाद 16 दिसंबर, 2012 को सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद दंड विधि संशोधन कानून 2013 के माध्यम से लाया गया है. याचिका में दावा किया गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में प्रदत्त अपवाद असंवैधानिक है क्योंकि यह पति को 15 साल से अधिक उम्र की अपनी ही पत्नी से बलात्कार की छूट प्रदान करता है.
याचिका में कहा गया है कि यह अपवाद असंवैधानिक है और इससे विवाहित महिलाओं के संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समता के अधिकार का हनन होता है क्योंक यह अपनी ही पत्नी से बलात्कार को अपराध के दायरे से बाहर रखता है.इस याचिका के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और कनाडा सहित दुनिया के अनेक देशों में पत्नी से बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल कया गया है.