नोटिस का असर नहीं, चंद्रबाबू नायडू जारी रखेंगे अनशन

नयी दिल्ली : आंध्र भवन में भूख हड़ताल पर बैठे तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा ) के नेता चंद्रबाबू नायडू के वहां पर प्रदर्शन करने को अनधिकृत बताते हुए आज अधिकारियों ने उनसे परिसर खाली करने को कहा लेकिन नायडू ने उनकी बात नहीं मानी. तेदेपा प्रवक्ता शिवप्रसाद राव ने कहा कि आंध्र प्रदेश भवन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2013 9:49 AM

नयी दिल्ली : आंध्र भवन में भूख हड़ताल पर बैठे तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा ) के नेता चंद्रबाबू नायडू के वहां पर प्रदर्शन करने को अनधिकृत बताते हुए आज अधिकारियों ने उनसे परिसर खाली करने को कहा लेकिन नायडू ने उनकी बात नहीं मानी.

तेदेपा प्रवक्ता शिवप्रसाद राव ने कहा कि आंध्र प्रदेश भवन के रेजीडेंस कमिश्नर ने तेदेपा प्रमुख को एक नोटिस देकर कहा कि यह भूख हड़ताल अनधिकृत है क्योंकि वहां पर सिर्फ एक संवाददाता सम्मेलन की अनुमति दी गयी थी.

आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने आंध्रप्रदेश के विभाजन के खिलाफ कल अनिश्चितकालीन अनशन शुरु किया था. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीति कर रही है.हालांकि तेदेपा के नेता वहां से हटे नहीं.

नायडू ने बताया, मैंने क्या अपराध किया है? जब जगमोहन रेड्डी जेल में थे, उन्होंने जेल के नियमों के विपरीत जाकर अनशन किया. फिर मुझे भला क्यों आंध्रभवन खाली करना चाहिए जबकि मैं तो एक अच्छे काम के लिए अनशन कर रहा हूं.

नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर आंध्र प्रदेश के बिगड़ते हालात को न समझने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘पिछले 70 दिन में कांग्रेस सरकार ने जो कुछ किया है, आंध्र प्रदेश के आम आदमी का उन पर से विश्वास उठ गया है. सरकार ही नहीं राजनीतिक दलों से भी लोगों का विश्वास उठा है. आज वहां हालात जस के तस है. कोई विश्वास नहीं है. इटैलियन में इसे ‘इमोब्लिज़मो’ कहते है. ‘इमोब्लिज़मो’ का मतलब है कि कुछ भी बदल नहीं रहा.’

कांग्रेस और केंद्र सरकार पर राज्य के विभाजन का फैसला मनमाने तरीके से लेने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सीमांध्र क्षेत्र में अव्यवस्था बनी हुई है और लोगों का राजनीतिक व्यवस्था पर से विश्वास उठने लगा है. नायडू ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (कांग्रेस पार्टी) आंध्र प्रदेश के मुद्दे से पार्टी के आंतरिक मामले की तरह निपट रहे हैं. वे राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं, ना कि शासन या राज्य या जनता से. वे सबकुछ राजनीति के लिहाज से बोल रहे हैं. हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं.’’

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