मुंबई : तीस्ता सीतलवाड़ के घर पर सीबीआइ की छापेमारी जारी है. इस छापेमारी में सीबीआइ को कुछ हसिल हुआ है या नहीं इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी है. सीबीआइ तीस्ता सीतलवाड़ के घर के साथ-साथ ऑफिस को भी खंगाल रही है.इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सीबीआइ ने मामला दर्ज किया था. इस मामले में सीबीआइ ने तीस्ता के पति जावेद आनंद और गुलाम मोहम्मद पेशइमाम पर भी केस दर्ज किया है. आपको बता दें कि दोनों मुंबई के सबरंग कम्युनिकेशन के डायरेक्टर हैं.
सीबीआइ ने गृह मंत्रालय से पूर्व अनुमति के बिना विदेश से धन प्राप्त करके विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम का कथित उल्लंघन करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के आवास और संगठन परिसर की आज तलाशी ली. सीबीआइ ने मुंबई में चार ठिकानों पर तलाशी ली, जिनमें उनका और उनके पति जावेद आनंद, गुलाम मोहम्मद पेशीमाम के आवास और सबरंग कम्यूनिकेशन्स एंड पब्लिशिंग का कार्यालय शामिल है.
हमे डराने के लिए की जा रही है यह कार्रवाई
एक चैनल से बात करते हुए तीस्ता ने कहा कि सुबह सीबीआइ की टीम सर्च वारंट लेकर उनके घर पहुंची और वह छापेमारी की कार्रवाई कर रही है. उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि हमारे खिलाफ इस तरह भय का वातारण क्यों बनाया जा रहा है. यह पता नहीं लेकिन सीबीआई प्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत आती है. हमारी संस्था गुजरात दंगों के पीडि़तों को कानूनी मदद पहुंचा रही है इसलिए हमे डराने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है.तीस्ता कहा कि हमारा मानना है कि यह एक राजनीतिक साजिश है. वे हमें अपमानित करने और डराने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह दल बहुत पेशेवर है लेकिन जाने यह सब कहां जाकर रुकेगा. नई दिल्ली में सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि यह मामला जमा कराए गए सभी दस्तावेजों की पूर्ण जांच के बाद दर्ज किया गया. ये दस्तावेज गृह मंत्रालय ने सीबीआई को जांच सौंपते हुए दिए थे. उन्होंने कहा कि ऐसा आरोप है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी ने आपराधिक साजिश के तहत केंद्रीय गृह मंत्रलय की पूर्व अनुमति और पंजीकरण के बिना ही विदेशी अंशदान स्वीकार किया. एफसीआरए की नियमों के अनुसार, विदेशी अंशदान स्वीकार करते समय पूर्व अनुमति जरुरी होती है.
सीतलवाड कर रही है सीबीआइ के साथ सहयोग
सीतलवाड ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि वह सीबीआइ के साथ सहयोग कर रही हैं. तीस्ता ने कहा कि हम इससे हैरान और स्तब्ध हैं. हम पूरा सहयोग करते रहे हैं. सीबीआइ ने इन सभी के खिलाफ भादंसं की आपराधिक साजिश से जुडी धारा (120-बी), विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम, 2010 और विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम, 1976 के तहत आठ जुलाई को मामला दर्ज किया था. वर्ष 2002 में गुजरात दंगा पीडितों के लिए चलाए गए अभियान में अग्रिम मोर्चे पर रहीं सीतलवाड ने कहा कि हमने सीबीआई को पूर्ण सहयोग देने की बात कहते हुए पत्र लिखा था और एजेंसी को बताया था कि हमारे खिलाफ जो भी कथित अपराध दर्ज किए गए हैं, हम सहयोग करेंगे. तो फिर हमें समझ नहीं आता कि इस पूरे अभियान के पीछे का औचित्य क्या है?’’
क्या है आरोप
तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने और उनके संगठन ने विदेशी धन का दुरुपयोग कर कानून का उल्लंघन किया है. उनपर बिना गृहमंत्रालय की मंजूरी के विदेशों फंड लेने का आरोप लगा है.सरकार ने पहले अमेरिकी फोर्ड फाउंडेशन द्वारा सबरंग कम्यूनिकेशन एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड को धन स्थानांतरित किए जाने के मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया था और 26 जून को कंपनी के बैंक खाते पर रोक भी लगा दी थी. ऐसा आरोप था कि एससीपीपीएल ने फोर्ड फाउंडेशन से 2.9 लाख डॉलर का अनुदान स्वीकार करने से पहले गृह मंत्रालय से स्वीकृति नहीं लेकर एफसीआरए के नियमों का उल्लंघन किया.
क्या कहा गृह मंत्रालय ने
गृह मंत्रालय ने मामला सीबीआई को सौंपते हुए कहा था कि नियमों के अनुसार, कोई संगठन या निजी कंपनी विदेशों से तभी अनुदान ले सकती है, जब उसने एफसीआरए के तहत पंजीकरण करवाया हो. ऐसी स्थिति में यह अनुदान एफसीआरए के उन प्रावधानों का ‘गंभीर उल्लंघन’ है, जो एफसीआरए के तहत पंजीकृत संस्थाओं को ही विदेशी स्त्रोतों से धन लेने की अनुमति देते हैं. गृहमंत्रालय के निर्देश के आधार पर मुंबई के जूहू में स्थित कंपनी के बैंक खाते पर भी रोक लगा दी गई. गुजरात सरकार ने पहले फोर्ड फाउंडेशन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए गृहमंत्रालय से कहा था कि यह संस्था देश के ‘‘आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप’’ कर रही है और सीतलवाड द्वारा संचालित एनजीओ के जरिए ‘‘सांप्रदायिक बैर को भडका’’ रही है. फोर्ड फाउंडेशन की ओर से प्रेषित धन को फिलहाल गृहमंत्रालय के नोडल अधिकारी द्वारा मंजूरी दी जानी है. अप्रैल में सरकार ने आदेश दिए थे कि फोर्ड फाउंडेशन द्वारा जारी धन को गृहमंत्रालय की अनिवार्य अनुमति के बिना किसी भी बैंक से या किसी भी भारतीय एनजीओ को जारी नहीं किया जाना चाहिए.
कानूनी लडाईजारी
गुजरात सरकार और सीतलवाड के बीच कई मामलों में कानूनी लडाइयां जारी हैं. सीतलवाड ने वर्ष 2002 में हुए गोधरा के बाद के दंगों के संबंध में राज्य सरकार के कई अधिकारियों के खिलाफ मामले दायर किए हुए हैं, वहीं राज्य पुलिस ने सीतलवाड के खिलाफ धन के कथित गबन का मामला दायर कर रखा है.