चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने मधुमेह से पीडित व्यक्तियों को सरकारी पदों पर नियुक्ति होने के योग्य करार देते हुए दक्षिण रेलवे को निर्देश दिया कि वह आठ सप्ताह के भीतर एक आवेदक की नियुक्ति करे.
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अब मेडिकल टेस्ट में अनफिट नहीं किये जायेंगे मधुमेह के रोगी
चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने मधुमेह से पीडित व्यक्तियों को सरकारी पदों पर नियुक्ति होने के योग्य करार देते हुए दक्षिण रेलवे को निर्देश दिया कि वह आठ सप्ताह के भीतर एक आवेदक की नियुक्ति करे. न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति टी मथिचनन की खंडपीठ ने दक्षिण रेलवे के मुख्य कार्मिक अधिकारी की ओर […]
न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति टी मथिचनन की खंडपीठ ने दक्षिण रेलवे के मुख्य कार्मिक अधिकारी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने याचिका में एक महिला आवेदक की नियुक्ति को इस आधार पर मना करने की मांग की थी कि वह मधुमेह से पीडित है. न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘अगर इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मधुमेह से पीडित व्यक्ति अपना कार्यालयी कामकाज करने में सक्षम नहीं हैं तो फिर प्रशासन की ओर से अपनाए गए रुख को स्वीकार नहीं किया जा सकता.’’
पीठ ने कहा कि यह विशेष तौर पर इसलिए भी है क्योंकि भारत विश्व की मधुमेह की राजधानी बन चुका है.अदालत ने इस बात का उल्लेख किया कि ‘इंडिया डायबिटीज रिसर्ज फाउंडेशन’ की वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4.09 करोड़ भारतीय मधुमेह से पीडित हैं.पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वे रोजगार के लायक नहीं है अथवा रोजगार प्रदान कर दिया जात है कि वे रोजगार प्रदाता पर बोझ बन जाएंगे.’’रेलवे ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण (मद्रास शाखा) के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसने पुष्पम नामक महिला उम्मीदवार को प्रथम श्रेणी के पद पर 12 सप्ताह के भीतर नियुक्त करने के लिए कहा था. पुष्पम को चिकित्सीय रुप से अनफिट घोषित किया गया था जिसके बाद उन्होंने कैट का रुख किया था.
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