दिग्विजय सिंह ने कहा, शिवराज नहीं जानते व्हिसलब्लोअर की परिभाषा

भोपाल: कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्हिसलब्लोअर शब्द की परिभाषा नहीं जानते हैं और व्यापमं घोटाले को लेकर उनकी प्रस्तावित यात्रा इसमें शामिल लोगों को बचाने का प्रयास है. दिग्विजय सिंह ने आज यहां भाषा से कहा, व्हिसलब्लोअर शब्द का मतलब शिवराज नहीं जानते हैं और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2015 4:25 PM

भोपाल: कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्हिसलब्लोअर शब्द की परिभाषा नहीं जानते हैं और व्यापमं घोटाले को लेकर उनकी प्रस्तावित यात्रा इसमें शामिल लोगों को बचाने का प्रयास है.

दिग्विजय सिंह ने आज यहां भाषा से कहा, व्हिसलब्लोअर शब्द का मतलब शिवराज नहीं जानते हैं और उनकी व्यापमं घोटाले को लेकर प्रस्तावित यात्रा इसमें शामिल लोगों को बचाने का प्रयास र्हैं. कांग्रेस महासचिव आज अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ नए और पुराने भोपाल शहर के बाजारों में मध्यप्रदेश बंद के समर्थन में पैदल घूमकर प्रचार कर रहे थे. आज का यह प्रदेशव्यापी बंद व्यापमं घोटाले के विरोध और मुख्यमंत्री चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर आहूत किया गया है.
व्यापमं घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने को लेकर सिंह और दो अन्य व्हिसलब्लोअर डॉ. आनंद राय एवं आशीष चतुर्वेदी की याचिका पर ही उच्चतम न्यायालय ने राज्य शासन द्वारा सहमति व्यक्त करने पर मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. सिंह ने कहा, शीर्ष अदालत में याचिका की अगली सुनवाई के दौरान वह अपने वकील के जरिए यह मांग भी करेंगे कि जो छात्र इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए हैं, उन्हें सरकारी गवाह बनाया जाए.
कांग्रेस महासचिव ने कहा, इन छात्रों के अभिभावक दलालों के लालच में आ गए कि बिना पैसा दिए, उनके बेटों का चयन नहीं हो सकता है. लेकिन भाजपा सरकार ने घोटाले में शामिल दलालों को गिरफ्तार करने के बजाए इन छात्रों और उनके अभिभावकों को जेल में ठूंस दिया.
उन्होने कहा कि चूंकि भाजपा सरकार ने बडी मछलियों को जांच के दायरे से बचाया, इसलिए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय जाना पडा. उन्होने कहा कि शीर्ष अदालत से दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा है कि सीबीआई जांच, उसकी (सर्वोच्च न्यायालय) अपनी निगरानी में होना चाहिए तथा डेंटल एण्ड मेडिकल एडमीशन टेस्ट (डीमेट) घोटाले की पडताल भी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को दी जाए.
गौरतलब है कि एसोसिएशन ऑफ प्रायवेट डेंटल एण्ड मेडिकल कॉलेज (एपीडीएमसी) ने हाल ही डीमेट की 12 जुलाई के लिए तयशुदा प्रवेश परीक्षा इसलिए निरस्त कर दी, क्योंकि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सभी नौ परीक्षा केंद्रों पर हर परीक्षार्थी की ओएमआर शीट स्कैन करने का आदेश दिया था। इस बारे में एपीडीएमसी का कहना था कि उसने यह प्रवेश परीक्षा तकनीकी कारणों से निरस्त की है.

Next Article

Exit mobile version