ब्रुनेई, इंडोनेशिया की यात्रा पर रवाना हुए मनमोहन
नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज उम्मीद जतायी कि ब्रुनेई और इंडोनेशिया की उनकी यात्रा से पूर्व के साथ भारत के सम्पर्क में और बढ़ोतरी होगी जिसका देश की विदेश नीति में अग्र स्थान है. इससे एशिया.प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता में भी योगदान मिलेगा. सिंह ने ब्रुनेई दारुस्सलाम और इंडोनेशिया को दक्षिण […]
नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज उम्मीद जतायी कि ब्रुनेई और इंडोनेशिया की उनकी यात्रा से पूर्व के साथ भारत के सम्पर्क में और बढ़ोतरी होगी जिसका देश की विदेश नीति में अग्र स्थान है. इससे एशिया.प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता में भी योगदान मिलेगा.
सिंह ने ब्रुनेई दारुस्सलाम और इंडोनेशिया को दक्षिण पूर्व एशिया में दो महत्वपूर्ण साझेदार बताते हुए अपनी रवानगी के मौके पर जारी एक बयान में कहा, ‘‘आसियान और उसके सदस्य देशों के साथ हमारा सम्पर्क ‘‘पूर्व की ओर देखो’’ (लुक ईस्ट )नीति का आधार है और हाल के वषो’ में यह एक मजबूत, वृहद और बहुआयामी साझेदारी के रुप में विकसित हुई है.’’
सिंह अपनी इस चार दिवसीय यात्रा के दौरान आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और महत्वपूर्ण द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करने के साथ ही आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा करेंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा ‘‘पूर्व के साथ हमारे सम्पर्क को और बढ़ाएगी जो कि हमारी विदेश नीति में अग्र स्थान रखता है. इसका एशिया प्रशांत क्षेत्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता में भी योगदान होगा.’’उन्होंने दस सदस्यीय आसियान के साथ संबंधों के बारे में कहा, ‘‘इसकी शुरुआत एक मजबूत आर्थिक प्रभाव के साथ हुई जिसका मुख्य जोर वाणिज्य और सम्पर्क पर था लेकिन इसने लगातार रणनीतिक तत्व हासिल किया है.’’
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में विशेष स्मारक :कमेमरेटिव: शिखर सम्मेलन के आयोजन और सेवाओं एवं निवेश के क्षेत्र में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते से आसियान के साथ भारत के सामरिक साझीदार के संबंध बनने के बाद ब्रुनेई में यह पहला शिखर सम्मेलन होगा.
सिंह ब्रुनेई में कल 11वें भारत.आसियान शिखर सम्मेलन और आठवें पूर्वी एशियाई सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंध प्रगाढ करने और सुरक्षा, सम्पर्क और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग के लिए प्रयासरत है.यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भारत वर्ष 2013 के अंत तक आसियान(दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ )के साथ सेवाओं और निवेश पर एक मुक्त व्यापार समझौते(एफटीए )पर हस्ताक्षर करना चाहता है. आसियान में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यामां, फिलीपिन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम देश शामिल हैं.
सामान पर एफटीए समझौता भारत और आसियान के साथ पहले से है और इससे इस क्षेत्रीय संघटन के साथ व्यापार बढ़ाने में महत्वपूर्ण मदद मिली है. आसियान..भारत व्यापार वर्तमान में 76 अरब डालर का है और इसे वर्ष 2015 तक बढ़ाकर 100 अरब डालर तथा वर्ष 2022 तक 200 अरब का करने का लक्ष्य है.
भारत और आसियान जिन क्षेत्रों में सहयोग करते हैं उनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण, मानव संसाधन, अंतरिक्ष, उर्जा, दूरसंचार, आधारभूत संरचना, पर्यटन, संस्कृति, स्वास्थ्य और दवाइयां शामिल हैं.एशियाई देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंच पूर्वी एशिया सम्मेलन के दौरान आसियान देशों और आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, रुस और अमेरिका के बीच बिहार में महत्वाकांक्षी नालंदा विश्वविद्यालय पर एक औपचारिक अंतर.सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.
नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण नालंदा अवशेष स्थल से 12 किलोमीटर की दूरी पर होना तय है. विश्वविद्यालय में पहले अकादमी सत्र वर्ष 2014 से शुरु हो सकता है.
ब्रुनेई दारुस्सलाम की राजधानी बंदर श्री भगवान में आयोजित होने वाले इस शिखर सम्मेलन के इतर उम्मीद है कि प्रधानमंत्री सिंह आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबोट से मुलाकात करेंगे तथा इस दौरान दोनों नेता यूरेनियम बिक्री से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं.सिंह पूर्वी एशियाई देशों के साथ मादक पदार्थ तस्करी, जलदस्यु की समस्या और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं.पूर्वी एशियाई सम्मेलन तीन अरब लोगों के बाजार को एकीकृत करता है जिसका संयुक्त जीडीपी(सकल घरेलू उत्पाद )17 हजार 230 अरब डालर है. सिंह की यात्रा के दौरान सहयोग के अन्य क्षेत्रों के साथ ब्रुनेई से गैस आयात के मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है.
ब्रुनेई के बाद सिंह 10 से 12 अक्तूबर के बीच इंडोनेशिया की यात्रा करेंगे जिसके दौरान उम्मीद है कि वह वहां शीर्ष नेतृत्व के साथ सुरक्षा, व्यापार और निवेश, सम्पर्क और सांस्कृतिक सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे.हाल के वर्षों में भारत और इंडोनेशिया व्यापार, रक्षा और सहयोग जैसे क्षेत्रों में अपने सहयोग काफी विस्तार कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश ने एक सकारात्मक विकास का रुख दिखाया है और गत वर्ष वैश्विक वित्तीय स्थिति के बावजूद यह वर्ष 2012.2013 के दौरान 20 अरक डालर पर पहुंच गया है. वर्ष 2005 में एक रणनीतिक साङोदारी होने के बाद व्यापार में पांच गुना वृद्धि हुई है.आसियान देशों के समूह के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘‘ ये मजबूत आर्थिक संबंधों पर बल देने से शुरु हुए जिसमें वाणिज्य और संयोजकता पर ध्यान दिया गया था लेकिन अब वे सामरिक स्तर पर भी मजबूत हुए हैं.’’उन्होंने कहा, ‘‘ दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में हुए विशेष स्मारक शिखर सम्मेलन और सेवाओं एवं निवेश के क्षेत्र में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते से सामरिक साझीदार के तौर पर आसियान के साथ हमारे संबंधों में सुधार के बाद से ब्रुनेई में यह पहला शिखर सम्मेलन होगा.’’
सिंह ने कहा, ‘‘ यह मुझेऔर आसियान के मेरे सहयोगियों को हमारे संबंधों में पिछले कुछ महीनों में आए सुधार की समीक्षा करने तथा संबंधों में और सुधार करने की संभावनाओं को तलाशने का अवसर प्रदान करेगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन एशिया प्रशांत इलाके में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि को बढावा देने वाला सबसे महत्वपूर्ण मंच है. ’’सिंह ने कहा, ‘‘भारत पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन को क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण को बढावा देने वाली प्रेरणा के तौर पर देखता है और आसियान एवं इसके एफटीए साझीदारों के साथ क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझीदारी के लिए चर्चा में भाग ले रहा है जिससे इलाके में आर्थिक समुदाय गठित करने में मदद मिलेगी.’’
उन्होंने साथ ही कहा कि ईएएस ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरद्धार के लिए भारत की पहलों का बहुत समर्थन किया है. विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कार्यक्रम अगले वर्ष से शुरु होने की योजना है.
सिंह ने कहा,‘‘ पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के इतर मेरे पास अन्य वैश्विक नेताओं से मिलने का मौका होगा.’’उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे इंडोनेशिया के साथ समुद्री पड़ोसी के तौर पर और आर्थिक, उर्जा, सुरक्षा, अंतरिक्ष एवं विकास के मामले में व्यापक आम हित हैं.’’
सिंह ने कहा, ‘‘ मैं इस दौरे का इस्तेमाल आसियान के साथ मजबूत साझीदारी के निर्माण की हमारी प्रतिबद्धता पर फिर के जोर देने के लिए करुंगा. हमारे पास आम हितों के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मामलों पर विचारों के आदान-प्रदान का भी मौका होगा. ’’उन्होंने कहा कि वह इंडोनेशिया के साथ आगामी वर्षों में सहयोग को और बढाने के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करेंगे.