नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यदि श्रमिक नाखुश हैं तो देश कभी सुखी नहीं रह सकता है. श्रम संगठनों के साथ सर्वसम्मति बनाकर श्रम कानूनों में बदलाव के प्रयास किए जाएंगे. श्रम सुधारों पर श्रम संगठनों से बात हो रही है इससे समाधान मिलने का भरोसा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में श्रमिक का अहम योगदान होता है. किसान और मजदूर ही देश को बनाते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रमिक अपने सपनों की आहूति देकर दूसरों के सपने पूरा करने में अपना जीवन बिता देते हैं. यदि वह दुखी रहेगा तो देश कैसे सुखी रह सकता है.
उन्होंने कहा कि कानूनों को सरल बनाने के प्रयास जारी है. कामगारों द्वारा किए गए नव-प्रवर्तन को मान्यता देने और पुरस्कृत करने की जरुरत है. एपरेंटिसशिप को बढावा देने की जरुरत है. कंपनियों को प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार और कामगार संगठनों के बीच भागीदारी चाहता हूं. मालिक और श्रमिक के बीच अगर परिवार भाव पैदा होगा तभी विकास की यात्रा पर हम ठीक ढंग से अग्रसर हो पायेंगे.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन सारी चर्चाओं का वैज्ञानिक अध्ययन भी होना चाहिए. श्रम करने वालों के प्रति आदर भाव उत्पन्न करना होगा.