सुप्रीम कोर्ट ने जिन्दल स्टील को नोटिस भेजा, तीन कोयला खदानों पर यथास्थिति बरकरार
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन कोयला खदानों पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश सुनाया है. साथ ही जिन्दल स्टील एंड पावर के खिलाफ नोटिस जारी किया है. ओडीशा में उत्कल बी-1 और बी-2 कोयला खदान तथा छत्तीसगढ में गारे पलमा की एक कोयला के मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आज आदेश […]
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन कोयला खदानों पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश सुनाया है. साथ ही जिन्दल स्टील एंड पावर के खिलाफ नोटिस जारी किया है. ओडीशा में उत्कल बी-1 और बी-2 कोयला खदान तथा छत्तीसगढ में गारे पलमा की एक कोयला के मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आज आदेश दिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन खदानों को नीलामी प्रक्रिया से अलग करने का निर्देश दिया था.
शीर्ष अदालत केंद्र सरकार की याचिका पर जिन्दल स्टील एंड पावर लि और उसके प्रवर्तक नवीन जिन्दल को नोटिस जारी किये. केंद्र सरकार उच्च न्यायालय के 11 फरवरी के फैसले को चुनौती दी है जिसमें तकनीकी समिति को ओडिशा में दो कोयला खदानों उत्कल बी-1 और बी-2 के मामले में अंतिम उपयोग के अपने फैसले पर पुनिर्वचार का निर्देश दिया गया था.
जिन्दल स्टील एंड पावर लि ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि इन खदानों के अंतिम उपयोग को इस्पात और लोहे की बजाय बिजली में तब्दील करने के कारण उन्हें इसमें बोली लगाने से रोका गया है. ये दो खदाने पहले जिन्दल स्टील एंड पावर लि को आबंटित की गयी थीं लेकिन शीर्ष अदालत ने 214 खदानों के साथ ही इन्हें भी निरस्त कर दिया था. बाद में जब इनकी फिर से नीलामी की घोषणा हुई तो उनका अंतिम उपायोग इस्पात और सीमेन्ट से बदलकर बिजली कर दिया गया.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, आज की स्थिति बनाये रखी जाये. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई सितंबर के दूसरे सप्ताह के लिये स्थगित कर दी.
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया जिसका जिन्दल स्टील एंड पावर लि ने विरोध किया. जिन्दल स्टील एंड पावर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल ने कहा कि कंपनी नयी तकनीक से स्टील संयंत्र विकसित करने के लिये पहले ही बीस हजार करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है.