पहले ही दिन बार-बार बाधित हुई संसद, सुषमा, वसुंधरा व शिवराज के मुद्दे पर मुश्किल में मोदी सरकार
नयी दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही में बार-बार के व्यवधान से यह साफ हो गया है कि यह सत्र नरेंद्र मोदी सरकार के लिए अग्नि परीक्षा साबित होगा. और, यह मोदी सरकार के लिए अबतक का सबसे कठिनाई भरा दौर होने वाला है. सरकार की परेशानी इस मायने में […]
नयी दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही में बार-बार के व्यवधान से यह साफ हो गया है कि यह सत्र नरेंद्र मोदी सरकार के लिए अग्नि परीक्षा साबित होगा. और, यह मोदी सरकार के लिए अबतक का सबसे कठिनाई भरा दौर होने वाला है. सरकार की परेशानी इस मायने में और अधिक बढ जाती हैं कि उसके कई महत्वाकांक्षी विधेयकों में अडंगा लग सकता है. कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष जहां इस मुद्दे पर मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा की मांग पर अडा है, वहीं भाजपा इस पर चर्चा को तैयार है, लेकिन कांग्रेस की शर्तों के साथ नहीं.
राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने जहां नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस देने की बात कही, वहीं सदन के नेता व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नियम 267 के तहत अविलंब चर्चा कराने की बात कही. जेटली ने कहा कि ललित मोदी प्रकरण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वयं सदन में जवाब देंगी और आवश्यकता होने पर सरकार के दूसरे मंत्री भी जवाब देंगे.
सुषमा खुद करेंगी सदन में अपना बचाव
नरेंद्र मोदी सरकार के अहम रणनीतिकार अरुण जेटली ने आज स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ही ललित मोदी प्रकरण पर अपना पक्ष संसद में रखेंगी. बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्विट कर कहा कि उन्होंने ही अरुण जेटली को राज्यसभा में यह सूचना देने को कहा था कि वे इस मुद्दे पर स्वयं अपना पक्ष रखने को तैयार हैं. अरुण जेटली ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है. जेटली ने कहा कि सरकार विपक्ष के चर्चा की मांग का समर्थन करती है, लेकिन विपक्ष पहले इस पर चर्चा चाहता है कि चर्चा क्यों हो, जो हमें स्वीकार्य नहीं है. राज्यसभा में सदन के नेता की हैसियत से जेटली ने कहा कि सुषमा स्वराज भी चर्चा में भाग लेंगी. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की चर्चा के लिए सरकार तैयार है.
वसुंधरा-शिवराज पर संसद में चर्चा को ना
अरुण जेटली ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लिये बिना कहा कि राज्यों के मुद्दों को संसद में नहीं उठाया जा सकता है. नियम में भी इसका उल्लेख नहीं है. उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले का मामला गर्म है और इसमें शिवराज सिंह चौहान द्वारा अनदेखी किये जाने का आरोप विपक्ष उन पर लगा रहा है. वहीं, वसुंधरा राजे पर ललित मोदी का गवाह बनने व उनके साथ उनके सांसद बेटे दुष्यंत सिंह के कारोबारी रिश्तों की खबरें मीडिया में आयी हैं.
पार्टी के अंदर सुलगते सवाल और सतही खामोशी
भाजपा के अंदर सबकुछ सामान्य नहीं है. पार्टी के अंदर सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान पर लगे आरोपों को लेकर सवाल तो जरूर उठ खडे हुए हैं. पिछले दिनों लालकृष्ण आडवाणी ने भी अप्रत्यक्ष रूप से नैतिकता का सवाल उठाया था और हवाला में संदेह मात्र पर खुद के द्वारा नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की बात कही थी. वाजपेयी-आडवाणी की ही पीढी के नेता शांता कुमार ने भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिख कर यह सवाल उठा दिया है. उन्होंने कहा है कि व्यापमं सहित अन्य आरोपों से पार्टी का सिर शर्म से झुक गया है.
सुषमा, वसुंधरा, शिवराज के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष अडा
विपक्ष विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित भाजपा के दो कद्दावर मुख्यमंत्रियों वसुंधरा राजे व शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग पर अडा है. राज्यसभा में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि इन तीनों को अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए. दो पर जहां भगोडे ललित मोदी से रिश्ते और लाभ लेने के गंभीर आरोप हैं, वहीं तीसरो को 47-48 लोगों की जान लेने वाले व्यापमं घोटाला मामले में इस्तीफा देना चाहिए.
विपक्ष की एकजुटता भी चुनौती
ललितगेट और व्यापमं की चुनौतियों से जूझ रही भाजपा के सामने मुश्किल यह है कि विपक्ष इस बार जबरदस्त एकजुटता दिख रहा है. ऐसी एकजुटता मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद तो कम से कम नहीं ही दिखी थी. कांग्रेस, वाम व समाजवादी धडे के अलावा भूमि अधिग्रहण विधेयक मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस व अन्नाद्रमुक भी कांग्रेस के निकट पहुंच गयी है. इस सब के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में संसद भवन में विपक्ष ललितगेट व व्यापमं घोटाले के मुद्दे पर कल धरना देने वाला है, जिसमें यह बहुत स्पष्ट होगा कि संसद के अंदर विपक्ष व सत्ता पक्ष क गणित या समीकरण कैसा बनेगा.