नयी दिल्ली : मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेनन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. इस याचिका में टाडा कोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति जतायी गयी है. याकूब की फांसी अब राजनीतिक रूप लेती जा रही है, एक तरफ एमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी याकूब की फांसी पर सवाल खड़े कर रहे तो अब बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने भी सवाल खड़े किये है.
इसके अलावा मीडिया में भी इसे लकेर अलग माहौल बन रहा है. आज रीडीएफ डॉट कॉम ने एक लेख प्रकाशित किया है, जिसे वर्ष 2007 में रॉ के पूर्व अधिकारी बी रमन ने लिखा था, लेकिन उसका प्रकाशन अब जाकर हुआ है. बी रमन ने अपने लेख में लिखा है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि याकूब मेमन मुंबई बम धमाके का दोषी था, लेकिन जिस तरह उसने आत्मसर्मपण किया और जांच में सहयोग किया, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए.
रीडिफ डॉट कॉम ने आज यह आलेख बी रमन के भाई से इजाजत लेकर प्रकाशित किया है. जिस वक्त याकूब मेमन को भारत लाया गया उस वक्त बी रमन रॉ की पाकिस्तान डेस्क के प्रमुख थे. वर्ष 2007 में शीला भट्ट नाम की पत्रकार ने याकूब मेमन पर दो पार्ट में स्टोरी की थी, जिसके एक पार्ट को लिखने से पहले उन्होंने बी रमन का साक्षात्कार करना चाहा और उसने यह गुजारिश की कि वे याकूब मेमन से जुड़ी उन तमाम तथ्यों को सामने लायें, जो अभी तक प्रकाशित नहीं हो सकी है.
इस स्टोरी में इस पक्ष को सामने रखा गया कि उसने जांच एजेंसियों काफी सहयोग किया है, उसने जांच करने वाली एजेंसी को यह बताया कि उसके परिवार के अन्य लोग कहां छुपे हैंऔर उन्हें वापस लाने में मदद किया. उन्होंने लिखा है कि इसमें कोईसंदेह नहीं है कि याकूब मेमन और उसका परिवार मुंबई बम धमाके में शामिल था, लेकिन जिस तरह का सहयोग उसने जांच एजेंसियों के साथ किया, उसके बाद उसे मौत की सजा देने पर पुनर्विचार किया जा सकता है.