भूमि विधेयक : सरकार की उम्मीदें टिकीं संसदीय समिति पर

नयी दिल्ली: भूमि विधेयक के खिलाफ राहुल गांधी की मुहिम के पीछे राजनीतिक अवसरवाद होने का आरोप लगाते हुए सरकार ने अपनी उम्मीदें इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति में आम सहमति बनने पर टिका रखी हैं. साथ ही उसने दावा किया कि केवल कांग्रेस ही वर्ष 2013 के विधेयक में कोई संशोधन न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2015 12:01 PM

नयी दिल्ली: भूमि विधेयक के खिलाफ राहुल गांधी की मुहिम के पीछे राजनीतिक अवसरवाद होने का आरोप लगाते हुए सरकार ने अपनी उम्मीदें इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति में आम सहमति बनने पर टिका रखी हैं. साथ ही उसने दावा किया कि केवल कांग्रेस ही वर्ष 2013 के विधेयक में कोई संशोधन न करने पर जोर दे रही है.

पीटीआई भाषा के साथ एक साक्षात्कार में ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंदर सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि वर्ष 2013 के कानून को व्यावहारिक बनाने के लिए इसमें संशोधन जरुरी थे क्योंकि तत्कालीन संप्रग सरकार ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसे जल्दबाजी में पारित किया था.
मंत्री ने भाजपा सांसद एस एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली समिति के माध्यम से किसानों के हितों में दिए गए बेहतर सुझावों को स्वीकार करने के लिए सकारात्मक रुख जताया.
केंद्रीय मंत्री का यह बयान भूमि अधिग्रहण विधेयक में एक नया खंड शामिल किए जाने पर विपक्ष को शांत करने की सरकार की कोशिश की पृष्ठभूमि में आया है. इस नए खंड के तहत राज्य सरकारों को कानून के कार्यान्वयन के दौरान सहमति के उपबंध के तथा सामाजिक प्रभाव के आकलन के प्रावधान मिल जाते हैं.
इस विधेयक को लेकर चल रहे गतिरोध को दूर करने के प्रयास के तहत मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह यह प्रावधान जोडने का फैसला किया ताकि राज्य अपने कानून बनाएं और पारित कर सकें.बहरहाल, कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने इस कदम को एक नए तरह का षड्यंत्र बताया है.
सिंह से पूछा गया कि एक ही मुद्दे पर एक केंद्रीय कानून होने के बावजूद, उसी मुद्दे पर अलग अलग राज्यों के विधेयकों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कैसे मंजूरी दे सकते हैं और क्या सरकार का विचार ओव्हरलैपिंग की राह में नहीं बढेगा. इस पर मंत्री ने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं.

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