नाबालिग बलात्‍कार पीड़िता को मिली सुप्रीम कोर्ट से गर्भपात की अनुमति

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय आज उस नाबालिग बलात्कार पीड़िता के बचाव में आया जिसे उच्च न्यायालय ने गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया था. न्यायालय ने कहा कि अगर स्त्री रोग विशेषज्ञ और क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक इसकी अनुमति देते हैं तो जरुरी सर्जरी की जा सकती है. नाबालिग लडकी तब गर्भवती हो गई जब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2015 2:09 AM

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय आज उस नाबालिग बलात्कार पीड़िता के बचाव में आया जिसे उच्च न्यायालय ने गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया था. न्यायालय ने कहा कि अगर स्त्री रोग विशेषज्ञ और क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक इसकी अनुमति देते हैं तो जरुरी सर्जरी की जा सकती है.

नाबालिग लडकी तब गर्भवती हो गई जब उसके चिकित्सक जतिन भाई के मेहता ने फरवरी में टाइफॉयड का इलाज कराने के दौरान आने पर उससे कथित तौर पर बलात्कार किया. गुजरात उच्च न्यायालय ने उसे गर्भपात कराने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था.
शुरुआत में न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने कहा कि वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगे जो कानून के विपरीत है. हालांकि, नाबालिग पीडिता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता कामिनी जायसवाल को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल के अधिकारियों को निर्देश देगी कि वह दो सर्वाधिक वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञों और एक क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक से लडकी का परीक्षण कराए.
न्यायालय ने कहा, अगर वे (विशेषज्ञ) कहते हैं कि लडकी का ऑपरेशन किया जाना चाहिए तो लडकी और उसके माता-पिता की सहमति से उन्हें ऐसा करने दिया जाए.पीठ ने कहा कि अगर गर्भपात नहीं किया तो उसकी जान को गंभीर खतरा होने का मामला है तो सर्जन और क्लिनिकल विशेषज्ञ साथ मिलकर उसका गर्भपात करने पर फैसला कर सकते हैं.
पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि गर्भपात की स्थिति में भू्रण की डीएनए जांच की जानी चाहिए, जो बलात्कार के मुकदमे में मदद कर सकता है.

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