नयी दिल्ली : राष्ट्रपति ने याकूब मेमन की दया याचिका एक बार फिर खारिज कर दी है. इसके बाद अब याकूब की फांसी का रास्ता साफ हो गया है. गौरतलब हो कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गृह मंत्रालय के पास दया याचिका पर सलाह मांगी थी.केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज रात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और समझा जाता है कि उन्होंने राष्ट्रपति को सरकार के इस विचार से अवगत कराया कि 1993 के मुंबई विस्फोट मामले के दोषी याकूब मेमन की दया याचिका को खारिज किया जाए.
सिंह की राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले सरकार ने राष्ट्रपति द्वारा भेजी गयी दया याचिका पर शीर्ष स्तर पर विचार विमर्श किया. राष्ट्रपति मंत्री-परिषद की सलाह और सहयोग से काम करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री सिंह और गृह सचिव एल सी गोयल समेत शीर्ष अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास पर इस विषय पर विचार-विमर्श किया और यह विचार बना कि राष्ट्रपति को आज दाखिल दया याचिका को खारिज करने की सलाह दी जानी चाहिए. इस मुद्दे पर आज शाम को देर तक गहन परामर्श जारी रहा और विधि सचिव पी के मल्होत्रा ने इस विषय पर गृह सचिव के साथ विचार-विमर्श किया.
मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को कल नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दिए जाने की उलटी गिनती शुरु हो गई है. मेमन को टाडा अदालत के आदेशानुसार कल सुबह फांसी दी जाएगी. कल ही उसका 53वां जन्मदिवस भी है. कारागार सूत्रों का कहना है कि मेमन को फांसी देने के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आज सुरक्षा का जायजा लेने के लिए कारागार का दौरा किया.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) मीरा बोरवांकर पुणे से यहां तैयारियों का जायजा लेने पहुंची. कारागार उप महानिरीक्षक राजेंद्र धामने और कारागार अधीक्षक योगेश देसाई उनका सहयोग कर रहे हैं. देसाई की निगरानी में पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.
पुलिस आयुक्त एसपी यादव, संयुक्त पुलिस आयुक्त राजवर्धन और क्षेत्रीय उपायुक्त ईशू सिंधू ने शाम के समय कारागार का दौरा किया. कारागार परिसर के निकट पुलिस के त्वरित कार्रवाई दस्ते (क्यूआरटी) को तैनात किया गया है. सूत्रों ने कहा कि वैसे किसी संभावित घटना के बारे में कोई खुफिया जानकारी नहीं मिली है, लेकिन पुलिस कोई ढील नहीं दे रही है.
कारगार के निकट के इलाके में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लगा दी गई है जिसके तहत एक स्थान पर पांच या इससे अधिक व्यक्ति एकत्र नहीं हो सकते.
याकूब मेमन का अंतिम प्रयास में भी उसे कोई राहत नहीं मिली. राष्ट्रपति के पास भेजी गयी दूसरी दया याचिका को भी राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय की सलाह के बाद खारिज कर दी. राष्ट्रपति ने मेमन की याचिका पर गृह मंत्रालय से सलाह मांगी थी. इस अंतिम उपाय पर राष्ट्रपति ने पूछा कि क्या कोई नया आधार बनता है? गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति के सलाह पर विचार किया और कहा कि याकूब की याचिका में कुछ भी नया नहीं है. जानकारों के मुताबिक याकूब मेमन की कल सुबह सात बजे फांसी दिया जाना लगभग तय है.
कल सुबह याकूब मेमन को नागपुर जेल में फांसी होगी. याकूब की सभी दलील को रद्द कर दिया गया और कोर्ट ने कहा, डेथ वारंट सही है. याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई नहीं होगी. कल नागपुर जेल में याकूब को फांसी होना तय माना जा रहा है. याकूब की याचिका में क्यूरेटिव पिटीशन में प्रकिया में खामी का आरोप लगा था जिसे नकार दिया गया.
दूसरी तरफ याकूब मेमन की दया याचिका को राज्यपाल ने भी खारिज कर दी. हालांकि राष्ट्रपति भवन को एक और दया याचिका दायर की गयी है. गौरतलब है कि पहले भी राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दी है. एटार्नी जनरल इस मामले में अपना पक्ष रख चुके हैं. एटार्नी जनरलयाकूब के वकील आर. रामाचंद्रन ने कोर्ट में बहस खत्म कर दी है. इस बीच महाराष्ट्र के डीजीपी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे है.
Yakub Memon case: Attorney General Mukul Rohatgi begins his arguments
— ANI (@ANI) July 29, 2015
Yakub Memon case: Yakub’s lawyer R. Ramachandran has started his arguments, questions validity of bench which heard curative petition
Yakub Memon case: Yakub's lawyer R. Ramachandran has started his arguments, questions validity of bench which heard curative petition
— ANI (@ANI) July 29, 2015
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की एक पीठ ने मंगलवार को याकूब अब्दुल रजाक मेमन की उस याचिका पर खंडित निर्णय दिया जिसमें उसने 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में 30 जुलाई को निर्धारित अपनी फांसी पर रोक लगाने का आग्रह किया है. पीठ ने मामला प्रधान न्यायाधीश को भेज दिया. याकूब मुंबई बम विस्फोट मामले में मौत की सजा पाने वाला एकमात्र दोषी है.
न्यायमूर्ति एआर दवे ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया, वहीं न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने 30 जुलाई को फांसी दिये जाने के लिए 30 अप्रैल को जारी ‘डेथ वारंट’ पर रोक लगा दी. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और मेमन की ओर से पेश हुए राजू रामचंद्रन सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा कि क्योंकि ‘डेथ वारंट’ पर रोक लगाने के मुद्दे पर दोनों न्यायाधीशों का अलग-अलग निर्णय है. यदि एक न्यायाधीश इस पर रोक लगाता है और दूसरा नहीं, तो फिर कानून में कोई व्यवस्था नहीं रहेगी.
पीठ ने ‘डेथ वारंट’ पर खंडित मत के चलते मामला त्वरित विचार करने के लिए प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को भेज दिया. दोनों न्यायाधीशों की राय को देखते हुए इस मामले को तीन सदस्यीय खंडपीठ को सुपुर्द करने का निर्णय लिया गया. मुख्य न्यायाधीश ने वृहद पीठ का गठन करेंगे और बुधवार को मामले पर फिर सुनवाई होगी.