वाशिंगटन : आइएसआइएस से जुडे एक आतंरिक भर्ती दस्तावेज के अनुसार अमेरिका को आर पार की जंग के लिए उकसाने के लिए समूह भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है. वह पाकिस्तानी और अफगान तालिबान को एक करना भी चाह रहा है. ‘यूएसए टुडे’ में कल प्रकाशित एक खोजी खबर के अनुसार पाकिस्तानी तालिबान के भीतरी लोगों से संबंध रखने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक से प्राप्त 32 पृष्ठ के उर्दू दस्तावेज का जिक्र किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दस्तावेज में चेताया गया है कि भारत में हमले की तैयारियां चल रही हैं और उसमें भविष्यवाणी की गई है कि यह हमला अमेरिका को ऐतिहासिक टकराव के लिए उकसाएगा.’ इसमें कहा गया है, ‘अगर अमेरिका अपने तमाम सहयोगियों के साथ भी हमला करने की कोशिश करता है, जो वह निस्संदेह करेगा, तो उम्मा (मुसलमान) एकजुट होंगे जिससे अंतिम लडाई होगी.’
रिपोर्ट के मुताबिक, हार्वर्ड के एक विद्वान ने दस्तावेज का स्वतंत्र रूप से अंग्रेजी में अनुवाद किया है और कुछ सेवारत तथा कुछ सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारियों ने इसका सत्यापन किया है.एक सेवानिवृत्त सीआईए अधिकारी और ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट में सीनियर फैलो ब्रूस रीडेल ने कहा कि भारत में हमला आइएसआइएस के कद में इजाफा करेगा और क्षेत्र की स्थिरता को खतरा होगा. उनको हवाला देते हुए कहा गया है, ‘भारत में हमला दक्षिण एशियाई जिहादियों का एक पाक मकसद है.’
बिना तारीख वाले इस दस्तावेज का शीर्षक है ‘इस्लामिक स्टेट खिलाफत का संक्षिप्त इतिहास, पैगंबर के मुताबिक खिलाफत.’ अखबार के मुताबिक पाकिस्तान और अफगान तालिबान के दर्जनों धडों को मिलाकर आतंक की एक एकल सेना बनाने की वकालत की गयी है. इसमें कहा गया है, ‘इसमें इस्लामिक स्टेट का अभी तक अनजान रहा इतिहास है. इसमें आगामी दिनों के युद्ध की योजना है और अल-कायदा से आग्रह किया गया है कि वह आइएस से जुडे.
इसमें कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट के नेता को ‘खिलाफत’ के तहत दुनिया के एक अरब मुसलमानों का एकमात्र शासक माना जाना चाहिए.’ अफगानिस्तान में आइएसआइएस की मौजूदगी से अवगत व्हाइट हाउस ने कहा है कि वह हालात पर करीब से नजर रखे हुए है. आइएसआइएस की मौजूदगी और उसके खतरे के बारे में भी अमेरिकी और पाकिस्तानी अधिकारियों में पिछले दो महीने में बातचीत हुयी है.
दस्तावेज में कहा गया है, ‘अमेरिका से सीधे टकराव में ऊर्जा गंवाने के बजाए हमें खिलाफत की स्थापना के लिए अरब जगत में सशस्त्र बगावतों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.’ यूएसए टुडे में कहा गया है कि तीन अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने दस्तावेज की समीक्षा की है. उनका मानना है कि दस्तावेज वास्तविक है. इसमें खास तथ्यों और नेताओं का विवरण देने में जिस जुबान का इस्तेमाल किया गया है, लेखन शैली और ऐसे धार्मिक शब्द हैं जो आइएसआइएस के अन्य दस्तावेजों से मेल खाते हैं.