नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय द्वारा 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराये गये याकूब मेमन की फांसी पर रोक लगाने से आज इंकार किए जाने का भाजपा एवं कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा कि यह ऐसा कदम है जिससे पीडितों के साथ अंतत: न्याय हुआ जबकि विधि विशेषज्ञों में इस बारे में राय बंटी हुई है.
याकूब की याचिका को खारिज किये जाने से एआईएमआईएम नेता असादुद्दीन ओवैसी को बेहद निराशा हुई और उन्होंने इसे एक झटका बताया. उन्होंने कहा कि उन लोगों को भी मृत्युदंड दिया जाना चाहिए जिन्होंने मूल अपराध…1992 में बाबरी मस्जिद ढहायी थी. कानूनी क्षेत्र से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई जिसमें कुछ लोगों ने डेथ वारंट जारी करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए जबकि अन्य एवं पीडितों ने शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत किया.
मणिशंकर अय्यर (कांग्रेस), प्रकाश करात एवं वृंदा करात (दोनों माकपा) सहित राजनीतिक नेताओं तथा सेवानिवृत्त न्यायविदों सहित कुछ प्रख्यात लोगों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नये सिरे से याचिका सौंपी है. इन लोगों ने कहा है कि शीर्ष न्यायालय के फैसले के बावजूद राष्ट्रपति के पास संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत याकूब के मृत्युदंड को परिवर्तित करने का अधिकार है.
याकूब के मृत्युदंड का विरोध करने वालों को मानसिक रुप से विकलांग बताते हुए भाजपा ने कहा कि ऐसे लोगों को उपचार की जरुरत है. पार्टी ने कहा कि पूरे मुद्दे का कुछ लोगों द्वारा राजनीतिकरण किया जाना और इसे सांप्रदायिक रंग देना गलत है.
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, हम शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं. अंतत: 1993 के मुंबई विस्फोट के सभी पीडितों को न्याय मिला है. देश के लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा है तथा इस निर्णय से उनका विश्वास और मजबूत हुआ है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से समूची कानूनी प्रक्रिया को सपूर्णता मिली है. इस निर्णय से परे जाना या उसका प्रयास करना समुचित नहीं होगा.
पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह 1993 के मुंबई विस्फोटों के पीडितों के लिए एक बड़ा दिन है तथा आज कानून की भावना व्याप्त हुई है. उन्होंने इस निर्णय को कानून की विजय बताया. कांग्रेस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय से न्यायिक प्रक्रिया संपन्न हो गयी है. साथ ही पार्टी ने ध्यान दिलाया कि मुंबई विस्फोटों के पीडितों के साथ पूरा फैसला तब होगा जब पाकिस्तान से टाइगर मेमन को वापस लाया जाता है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसे एक न्यायिक प्रक्रिया की पूर्णता के रुप में तथा 1993 के बंबई विस्फोट पीडितों के साथ आंशिक न्याय के रुप में देखती है. उन्होंने कहा, पूरा न्याय तभी होगा जिस दिन सरकार टाइगर मेमन को पाकिस्तान से लाएगी जहां उसे पनाह दी गई है. फैसले का स्वागत करते हुए शिवसेना ने ध्यान दिलाया कि सभी ने एक स्वर में कहा कि मेमन के साथ दया नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह देश के नागरिकों की आवाज है.
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने इस फैसले से असहमति जताते हुए यहां कहा, आंख के बदले आंख, दांत के बदले दांत भारतीय न्यायशास्त्र का दर्शन नहीं हो सकता. समय आ गया है जबकि सभी कानूनों पर पुनर्विचार किया जाये ताकि अंतत: मृत्युदंड समाप्त हो सके. वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इस फैसले पर अप्रसन्नता जतायी और कहा, न्याय नहीं हुआ है. मैं आलोचना करती हूं कि उच्चतम न्यायालय इस बात की पहचान करने में विफल रहा है कि उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई.
पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अंत तय कर दिया क्योंकि याकूब ने सभी कानूनी राहत के माध्यमों को अपना लिया है. मुंबई में 12 मार्च 1993 को 12 विस्फोट हुए थे जिनमें 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे.