प्रशांत भूषण ने याकूब की फांसी पर उठाये सवाल कहा, जल्दबाजी क्यों
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आज इस बात पर सवाल खडे किए कि याकूब मेमन को फांसी देने में अनुचित जल्दबाजी क्यों दिखाई गई. उन्होंने कहा कि याकूब की खारिज की गई दया याचिका को चुनौती देने के लिए कोई समय नहीं दिया गया. देर रात मेमन की फांसी रकवाने का […]
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आज इस बात पर सवाल खडे किए कि याकूब मेमन को फांसी देने में अनुचित जल्दबाजी क्यों दिखाई गई. उन्होंने कहा कि याकूब की खारिज की गई दया याचिका को चुनौती देने के लिए कोई समय नहीं दिया गया.
देर रात मेमन की फांसी रकवाने का अंतिम प्रयास करने वाले वकीलों में से एक भूषण ने कहा कि शीर्ष अदालत को जांच एजेंसियों के साथ उसके सहयोग समेत कई मुद्दों को ध्यान में रखते हुए उसकी सजा को कम कर देना चाहिए था.उन्होंने कहा, ‘‘उसने जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग किया. वह सिजोफ्रेनिया से पीडित था और काफी लंबे समय से एकांत कालकोठरी में था. इन परिस्थितियों में उसकी सजा को कम कर दिया जाना चाहिए था.’’भूषण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि फांसी की सजा एक तरह से राज्य की ओर से दंडात्मक हिंसा है और यह हिंसक भीड की मानसिकता को दर्शाता है.
उन्होंने कहा, ‘‘कल मुद्दा उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के अनुसार 14 दिन का वक्त देने का था, ताकि वह दया याचिका खारिज किए जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती दे सके और वह अपनी दुनियावी मामलों को निपटा सके. लेकिन इसे (दया याचिका) कल देर रात खारिज कर दिया गया. उसे कोई समय नहीं दिया गया. इतनी अनुचित जल्दबाजी क्यों थी. हमे इतना रक्तपिपासु होने की क्या आवश्यकता थी.’’