मोनरोविया: लाइबेरिया के 70 हजार से ज्यादा बच्चों के जन्म के बाद उनका पंजीकरण नहीं हो पाने के कारण घातक बीमारी इबोला की चपेट में आए इस गरीब पश्चिम अफ्रीकी देश में ये बच्चे स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह गए और उनपर तस्करी का खतरा पैदा हो गया. संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष ने कहा कि पिछले साल स्वास्थ्यकर्मियों के संक्रमित होने के कारण देश में प्रसव वार्ड बंद करा दिए गए थे. जन्म के पंजीकरण में वर्ष 2013 की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई.
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इबोला संकट के कारण लाइबेरिया में जन्मे 70 हजार बच्चों का रिकॉर्ड नहीं: यूनिसेफ
मोनरोविया: लाइबेरिया के 70 हजार से ज्यादा बच्चों के जन्म के बाद उनका पंजीकरण नहीं हो पाने के कारण घातक बीमारी इबोला की चपेट में आए इस गरीब पश्चिम अफ्रीकी देश में ये बच्चे स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह गए और उनपर तस्करी का खतरा पैदा हो गया. संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष ने कहा […]
लाइबेरिया में यूनिसेफ प्रतिनिधि शेल्डन येट ने एक बयान में कहा, ‘‘जन्म के समय जिन बच्चों का पंजीकरण नहीं हुआ है, आधिकारिक तौर पर उनका अस्तित्व ही नहीं है.’’ बयान में कहा गया, ‘‘नागरिकता के अभाव में, लाइबेरिया में जो बच्चे इबोला की वजह से पहले ही भयानक परेशानियां ङोल चुके हैं, उनके हाशिए पर चले जाने का खतरा पैदा हो गया है क्योंकि वे मूलभूत स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच से वंचित हो सकते हैं.
ऐसे में वे तस्करी या अवैध ढंग से गोद लिए जाने के खतरे में पड सकते हैं.’’ यूनिसेफ ने कहा कि इस साल के शुरुआती पांच महीनों में महज 700 बच्चों के जन्म की जानकारी मिली. स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारी सहायताकर्मियों के साथ मिलकर इस बीमारी के प्रकोप पर नियंत्रण करने की कोशिश में जुटे हैं.
यूनिसेफ के प्रवक्ता ने एएफपी को बताया कि लाइबेरियाई सरकार का 70 हजार गैर पंजीकृत बच्चों वाला आंकडा दरअसल अपेक्षित संख्या और असल पंजीकृत संख्या से निकाला गया है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस बात को दर्शाने के लिए कोई आंकडा नहीं है कि इंसान से इंसान में फैलने वाले इस वायरस के तेज प्रसार के कारण जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है? यदि ऐसा है तो यह पंजीकरण में आने वाली कमी का कारण माना जा सकता है.
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