कलाम के किसी वसीयत की जानकारी नहीं : भतीजा

रामेश्वरम (तमिलनाडु) : दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम हो सकता है कि कोई वसीयत नहीं छोड़ गए हों, उन्होंने अपने बडे भाई से कहा था कि वह उनकी छोटी सी सम्पत्ति की देखभाल करें. कलाम के भतीजे जैनुलबद्दीन ने कहा, मुझे मेरे चाचा (कलाम) द्वारा कोई वसीयत छोडे जाने की जानकारी नहीं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2015 7:59 PM

रामेश्वरम (तमिलनाडु) : दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम हो सकता है कि कोई वसीयत नहीं छोड़ गए हों, उन्होंने अपने बडे भाई से कहा था कि वह उनकी छोटी सी सम्पत्ति की देखभाल करें. कलाम के भतीजे जैनुलबद्दीन ने कहा, मुझे मेरे चाचा (कलाम) द्वारा कोई वसीयत छोडे जाने की जानकारी नहीं. एक-एक करके हमारी सभी सम्पत्तियां बिक गई. बच गया है तो वह केवल पैतृक मकान और उस मकान के पास एक छोटी सी जगह जो कलाम के पिता अवुल पाकिर जैनुलबद्दीन उनके लिए छोड़ गए थे. कलाम ने अपने बडे भाई मुत्थू मीरान लब्बाई मराकियर से कहा था कि वह उनकी सम्पत्तियों की देखभाल करें.

कलाम के बडे भाई के पुत्र ने कहा, हम उसकी देखभाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी समय में कलाम के पूर्वजों का वाणिज्यिक काम और काफी सम्पत्ति थी. वे सदियों पहले नाव से पंबन आने वाले श्रद्धालुओं को नौका सेवाएं भी मुहैया कराते थे क्योंकि तब मुख्य भूमि और इस द्वीप के बीच कोई पुल नहीं था. इसी कारण से परिवार को मारा कलाम (लकडी की नाव) इयाक्किवर्स उपनाम मिला जो बाद के वर्षों में मराकियर कहलाने लगे.

इन लोगों के व्यवसाय में मुख्यभूमि से किराने का सामान यहां के लोगों के लिए लाने के साथ ही श्रीलंका पहुंचाना था. यद्यपि मुख्य भूमि को द्वीप को जोडने वाला पुल बनना उनके लिए हानिकारक साबित हुआ. जैनुलबद्दीन ने कहा कि यद्यपि परिवार के पास काफी सम्पत्ति थी लेकिन वह सभी परिवार और मोहैनद्दीन अंदावार मस्जिद के खर्चे के लिए बेचनी पडीं. यह मस्जिद उस गली में स्थित है जहां कलाम की पैतृक सम्पत्ति स्थित है.
जमात के एक सदस्य ने कहा कि कलाम प्रत्येक वर्ष पॉरिज के लिए 1.10 लाख रुपये भेजते थे. पॉरिज रमजान के दौरान मस्जिद को दिया जाता है. कलाम के परिवार के एक सदस्य ने कहा इस वर्ष भी कलाम ने रमजान पर परिवार के सदस्यों को अपनी पेंशन में से धनराशि भेजी थी.

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