नयी दिल्ली : नेशनल सोशल काऊंसिल ऑफ नागालैंड(NSCN- IM) और सरकार के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. माना जाता है कि इस अहम शांति समझौते के बाद नार्थ ईस्ट में हालात को काबू करने में सरकार को काफी हद तक सफलता मिलेगी. एनएससीएन (आईएम) नेता टी. मुइवा ने समझौते पर हस्ताक्षर के बाद कहा कि हम एक दूसरे को समझने, नये संबंध बनाने के लिए नजदीक आये हैं.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर की वेश भूषा धारण की थी. उन्होंने कहा, यह समस्या 60 सालों से ज्यादा समय से थी. हम एक दूसरे को समझ नहीं पाये इसलिए इतना वक्त लग गया. ब्रिटिश सरकार के समय से इसकी अनदेखी हुई. हमें नागा से महिलाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए.
मैं खुद इस पूरे मुद्दे पर नजर रख रहा था . मैंने पीएम बनने के बाद लगातार इस मुद्दे पर काम किया है. यह एक नये भविष्य की शुरूआत है आज एक समस्या खत्म हुई है. इस समझौते में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. उत्तर पूर्वी इलाकों में विकास को लेकर मेरी प्राथमिकता है. आज एक नये युग का आरंभ हो रहा है. 3 अगस्त भारत के इतिहास में एक सुनहरे पन्ने की तरह अंकित किया जायेगा. देश आजाद हुआ तब से अनदेखी के कारण कभी तनाव का कभी लड़ाई का कभी मारकाट का माहौल बना रहा आशंकाएं इतनी गहरी थी कि कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा था . 60 साल के बाद यह मौका आया है जब हम एक दूसरे के विकास के लिए नयी यात्रा का प्रारंभ कर रहे हैं. मैं संगठन के नेताओं का आभार व्यक्त करता हूं. नेताओं ने जो दूरदृष्टि दिखायी और योगदान दिया है. वह नागालैंड के विकास की नीव रखेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजी के बाद हिंदी में भी संबोधन किया. उन्होंने कहा, मैं जब प्रधानमंत्री बनने के बाद नागालैंड गया तो सभी ने एक रास्ता निकालने की बात कही सभी ने एक ही बात कही की नागालैंड आगे बढ़ना चाहता है. लागातार इन बातों को आगे बढ़ाया गया. इस मौके पर नागालैंड के कुछ लोग भी मिलने आये. आज वही एतिहासिक पल है. अगर महात्मा गांधी लंबे समय तक होते तो यह समस्या पहले ही खत्म हो जाती है. यह पल महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि है. प्रधानमंत्री ने कहा, मैं उसी धरती से आया हूं जहां उनका जन्म हुआ यह मेरे लिए गर्व का क्षण है.
मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने गहरे घाव झेले होंगे लेकिन मैं नागा भाईयों को विश्वास दिलाता हूं कि मैं उनके विश्वास पर खरा उतरूंगा. शस्त्र कभी समस्याओं का हल नहीं निकालता. हल इसी तरह से निकलते है. यह एक सीख है कि देश में छोटे मोटे लोग जो इसी राह पर चल रहे हैं उन्हें सीख मिलेगी. और भारत में भी इस तरह से समस्याओं का हल निकालने वाले लोगों को सीख मिलेगी.
आपको बता दें कि इस संगठन का गठन 1980 में हुआ था जो ग्रेटर नागालैंड की मांग को लेकर बना था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके पहले ही इसकी गंभीरत को जाहिर कर दिया था. उन्होंने कहा, आज शाम 6.30 बजे हम सभी एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना के गवाह बनेंगे. आज मैं 6.30 बजे 7 आरसीआर से एक महत्वपूर्ण घोषणा करुंगा.इस मौके पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मौजूद है. इन लोगों की मौजूदगी से घोषणा की गंभीरता का अनुमान लगाया जा जा सकता है.