कराची : भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन और उनकी पत्नी ने आज पाकिस्तान में एक दशक से अधिक समय से रह रही मूक बधिर भारतीय लडकी से मुलाकात की और जल्दी से जल्दी उसके परिवार को खोजने के प्रयास करने का आश्वासन दिया. राघवन ने यहां एदी ट्रस्ट शेल्टर होम में संवाददाताओं से कहा, ‘इस केंद्र में मेरी यात्रा का उद्देश्य गीता के मामले के बारे में समस्त ब्यौरा तथा पृष्ठभूमि पता लगाना है और यथासंभव जल्दी उसके परिवार और रिश्तेदारों का पता लगाने की कोशिश करना है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं यहा आया हूं, यही हमारी सरकार की ओर से शांति का संदेश है.’
राघवन की कराची यात्रा से एक दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया था कि उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को लडकी से मिलने और उसकी समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने ट्वीट किया, ‘मदद करने के लिए राघवन और उनकी पत्नी रंजना ने कराची में ‘गीता’ से मुलाकात की जो 15 साल से अपने घर से दूर है.’
माना जाता है कि 23 वर्षीय गीता बचपन में गलती से सरहद पारकर पाकिस्तान की सरजमीं में आ गयी थी. पाकिस्तान से मिली खबरों के अनुसार वह 15 साल पहले जब लाहौर रेलवे स्टेशन पर पाकिस्तानी रेंजरों को मिली थी तब 7-8 साल की थी. मौलाना अब्दुल सत्तार एदी की पत्नी बिलकिस एदी और हल्के हरे रंग की सल्वार कमीज पहने गीता के साथ राघवन ने कहा कि सभी मतभेदों और विवादों के बावजूद पाकिस्तान और भारत के बीच मानवता का रिश्ता है. राघवन ने कहा कि भारतीय सरकार नीति के तौर पर गलती से भारतीय क्षेत्र में घुस आये लोगों की घर लौटने में सर्वश्रेष्ठ तरीके से मदद करती है.
उन्होंने इस बात पर सहमति जतायी कि पाकिस्तान सरकार द्वारा भारतीय मछुआरों की रिहाई एक सकारात्मक कदम है और इससे दोनों पडोसी देशों के बीच रिश्तों में मदद मिलेगी. मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने कहा कि भारतीय उच्चायुक्त का दौरा सही दिशा में उठाया गया कदम है. बर्नी ने तीन साल पहले भारत की यात्रा के दौरान इस विषय को उठाया था. बर्नी ने कहा, ‘वह अब अपनी सरकार को रिपोर्ट देंगे और मुझे विश्वास है कि अंतत: यह गरीब और बेगुनाह लडकी अपने देश लौट सकेगी.’