याकूब की फांसी का बदला लेना चाहता है टाइगर मेमन, फांसी के दिन मां को किया था फोन

नयी दिल्ली :मुंबई पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में आज कहा कि उनके पासमुंबई बम धमाकेके मास्टरमाइंड टाइगर मेमन और उसकी मां हनीफा के बीच बातचीत की कोई रिकॉर्डिंग नहीं. बयान में कहा गया है कि उनके घर के टेलीफोन की रिकार्डिंग नहीं की गयी थी,जिसके कारण उनके पास इस बातचीत की कोई ट्रांस्क्रप्टि मौजूद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2015 8:24 AM

नयी दिल्ली :मुंबई पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में आज कहा कि उनके पासमुंबई बम धमाकेके मास्टरमाइंड टाइगर मेमन और उसकी मां हनीफा के बीच बातचीत की कोई रिकॉर्डिंग नहीं. बयान में कहा गया है कि उनके घर के टेलीफोन की रिकार्डिंग नहीं की गयी थी,जिसके कारण उनके पास इस बातचीत की कोई ट्रांस्क्रप्टि मौजूद नहीं है.

गौरतलब है कि मीडिया में ऐसी खबरें आ रही हैं कि 30 जुलाई को जब याकूब मेमन को फांसी दी जानी थी, तो उस दिन टाइगर मेमन ने अपने मुंबई स्थित घर में फोन किया और मां हनीफा से बात की.

1993 के मुंबई बम धमाके का मुख्‍य गुनहगार टाइगर मेमन ने याकूब मेमन की फांसी के पहले घर पर फोन किया था. इक्नॉमिक्स टाइम्स में छपी खबर के अनुसार याकूब मेमन को फांसी दिये जाने के ठीक डेढ घंटे पहले टाइगर ने मुंबई स्थित घर पर फोन किया और बदले की बात कही. खबर की माने तो टाइगर मेमन ने फोन सुबह 5:30 बजे किया और उसकी मां से बात करीब 3 मिनट तक हुई जिसमें उसने परिवार को सांत्वना तो नहीं दिया बल्कि बदले की बात की. उसने कहा कि इस फांसी का बदला लिया जायेगा. परिवार का आंसू बर्बाद नहीं जायेगा.

मुंबई स्थित घर अल हुसैनी टाइगर के फोन की जब घंटी बजी तो किसी अन्य व्यक्ति ने उठाया. टाइगर ने सलाम वालेकुम के बाद फोन अपनी मां हनीफा को देने की बात कही. बातचीत में उसने बार-बार याकूब के मौत का बदला लेने की बात कहता दिख रहा है. जवाब में मां रोते हुए कहती है-"बस हो गया, पहले हुए धमाकों की वजह से मेरा याकूब चला गया अब और मैं अब नहीं देख सकती लेकिन टाइगर ने मां की बात एक न सुनी और बदला लेने की बात दोहराई. इसके बाद हनीफा ने फोन एक अन्य सदस्य को दे दिया, उसे टाइगर ने बताया कि परिवार के आंसू को बेकार नहीं जाने दिया जायेगा.

यह फोन इंटरनेट से किया गया था जिसका आइपी एड्रेस पता नहीं चल पाया है. 3 मिनट तक चली बातचीत में टाइगर ने अपना नाम नहीं लिया लेकिन उसकी बातों से लगता है कि वह टाइगर मेमन ही था.बताया जा रहा है कि याकूब की फांसी वाले दिन यानी 30 जुलाई को याकूब मेमन से संबंधित सभी फोन को ट्रेस किया जा रहा था हालांकि पुलिस ने अभी तक इसकी पुष्‍टि नहीं की है कि जो फोन आया था वह टाईगर मेमन का था या नहीं.

गौरतलब है कि मुंबई बम धमाकों के 22 साल बाद पहली बार कोई फांसी हुई है. याकूब मेमन को उसके गुनाहों की सजा मिली लेकिन वो तो साजिश का एक किरदार था. साजिश की पूरी कहानी लिखने वाला और 1993 में सीरियल ब्लास्ट से देश को दहलाने के पीछे पूरा दिमाग याकूब के बड़े भाई टाइगर मेमन का था जो अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर है.

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