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सावधान! एक बार फिर भूकंप से दहल सकता है भारत और नेपाल

लॉस एंजिलिस : वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पश्चिमी नेपाल और उत्तर भारत भविष्य में भूकंप के अधिक खतरे का सामना कर रहा है. उन्होंने पाया है कि अप्रैल में नेपाल में आये 7. 8 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप में नीचे के ‘फॉल्ट’ में स्थित ऊर्जा का सिर्फ एक हिस्सा बाहर निकला. काठमांडों में […]

लॉस एंजिलिस : वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पश्चिमी नेपाल और उत्तर भारत भविष्य में भूकंप के अधिक खतरे का सामना कर रहा है. उन्होंने पाया है कि अप्रैल में नेपाल में आये 7. 8 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप में नीचे के ‘फॉल्ट’ में स्थित ऊर्जा का सिर्फ एक हिस्सा बाहर निकला.

काठमांडों में उपयोग में लाये गये जीपीएस स्टेशनों के डेटा, दुनियाभर भूकंपमापी स्टेशनों से लिये गये डेटा और रेडार चित्रों का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पहली बार यह ब्यौरा तैयार किया है कि नेपाल में 25 अप्रैल को 7.8 की तीव्रता से आये भूकंप के दौरान भौतिक रूप से क्या हुआ था. इस विनाशकारी आपदा में 9,000 लोगों की जानें गई थी.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्यां फिलिप अवौक ने बीबीसी न्यूज से कहा, ‘यह एक ऐसा स्थान है जहां ध्यान देने की जरुरत है और यदि आज कोई भूकंप आता है तो यह एक तबाही होगी. न केवल पश्चिमी नेपाल बल्कि उत्तरी भारत खासतौर पर गंगा के मैदानी भागों में घनी जनसंख्या के कारण.

अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि ‘मेन हिमालयी थ्रस्ट’ (एमएचटी) से लगा उत्तर भारत यूरेशिया के नीचे प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर खिसक रहा है जिससे हिमालय उपर उठ रहा है. जीपीएस पैमाने के आधार पर वैज्ञानिक जानते हैं कि इस ‘फॉल्ट’ का बडा हिस्सा ‘लॉक्ड’ है. बडे भूकंप इस तरह के ‘लॉक्ड फॉल्ट’ पर दबाव को बाहर निकालते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि इनमें से कुछ दबाव पश्चिम की ओर खिसक रहा है जो नेपाल में पोखरा के पश्चिम से लेकर दिल्ली के उत्तर तक है.

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