राज्यसभा में गतिरोध बरकरार, विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी
नयी दिल्ली : ललित मोदी प्रकरण, व्यापमं घोटाले सहित विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी सदस्यों के हंगामे तथा सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के चलते राज्यसभा की बैठक आज शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. बैठक शुरू होने पर […]
नयी दिल्ली : ललित मोदी प्रकरण, व्यापमं घोटाले सहित विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी सदस्यों के हंगामे तथा सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के चलते राज्यसभा की बैठक आज शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. बैठक शुरू होने पर सभापति पी जे कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज रखवाने के बाद जदयू सदस्य के सी त्यागी को उनके नियम 267 के तहत दिए गए प्रस्ताव पर बोलने के लिए कहा। त्यागी ने राज्यों से परामर्श किए बिना राज्यपालों की नियुक्ति किए जाने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए शून्यकाल निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कडी आपत्ति जताई.
उधर कांग्रेस के सदस्य विदेश मंत्री तथा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर आसन के समक्ष आ कर हंगामा करने लगे। कुरियन ने जब त्यागी को बोलने की अनुमति दी तब हंगामा कर रहे कांग्रेस सदस्य वापस अपने स्थानों पर चले गए ताकि त्यागी अपनी बात रख सकें. इस पर सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा ‘‘इस तरह सदन नहीं चल सकता कि सरकार को बोलने की अनुमति नहीं दी जाए. जिस तरह सदन चल रहा है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.’’ सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि विपक्षी सदस्य सरकार को बोलने नहीं दे रहे हैं. त्यागी को उनकी बात कहने की अनुमति तब ही देनी चाहिए जब विपक्ष यह आश्वासन दे कि वह सरकार को बिना किसी व्यवधान के प्रतिक्रिया देने देगा। जेटली ने कहा कि सरकार के हितों की रक्षा करना आसन का दायित्व है.
जेटली के इतना कहते ही कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे। इसी पार्टी के जेसुदास सीलम अपने हाथों में आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग संबंधी बैनर दिखाने लगे. इसके बाद कुरियन ने 11 बज कर करीब 20 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
इससे पहले आंध्रप्रदेश से कांग्रेस के सदस्य अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए पोस्टर दिखा रहे थे. कुरियन ने उनसे सदन में पोस्टर न दिखाने को कहा. हंगामे के बीच ही सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दो तीन दिन से इस तरह का आभास दिलाया जा रहा है और कुछ समाचार पत्रों की खबर में भी कहा गया है कि संसदीय कार्य मंत्री ने राज्यसभा तथा लोकसभा में विपक्ष के नेताओं से सदन में चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए बात की. उन्होंने कहा ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि संसदीय कार्य मंत्री के साथ ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है. हां, उन्होंने टेलीफोन किया था और कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 25 सदस्यों को सदन से निलंबित किया है और अगर हमारी पार्टी स्पीकर से जा कर बात करे तो कोई समाधान निकल सकता है. लेकिन सदन में जारी गतिरोध दूर करने के बारे में कोई बात नहीं हुई.’’
आजाद ने कहा ‘‘हमने जो मुद्दे उठाए थे, जिनके चलते तीन सप्ताह से गतिरोध जारी है, वे यथावत हैं और सरकार, प्रधानमंत्री, सदन के नेता या संसदीय कार्य मंत्री की ओर से हमारे मुद्दों का हल निकालने की कोई कोशिश नहीं हुई है. ’’ विपक्ष के नेता ने कहा ‘‘अलबत्ता हर दिन नई बातें सामने आ रही हैं. नगालैंड में जो समझौता हुआ, उसके बारे में पहले तीन पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। अब नगालैंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. इसी तरह हिमाचल प्रदेश और बिहार में राज्यपाल की नियुक्ति भी कर दी गई और मुख्यमंत्रियों से कोई परामर्श नहीं किया गया.’’