पोर्न बैन : सरकार ने कहा, ”हम किसी के बेडरूम में नहीं झांक सकते”
नयी दिल्ली : पोर्न पर प्रतिबंध की चर्चा के बीच आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मेंस्पष्ट किया कि वह पोर्न पर प्रतिबंध के खिलाफ है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी को छोड़कर पोर्न पर बैन के खिलाफ है. सरकार की ओर से कहा गया […]
नयी दिल्ली : पोर्न पर प्रतिबंध की चर्चा के बीच आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मेंस्पष्ट किया कि वह पोर्न पर प्रतिबंध के खिलाफ है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी को छोड़कर पोर्न पर बैन के खिलाफ है. सरकार की ओर से कहा गया कि पोर्न पर प्रतिबंध संभव नहीं है, यह निजता का हनन होगा. अगर कोई बंद कमरे में कुछ कर रहा है, तो उसपर प्रतिबंध संभव नहीं है.
गौरतलब हैकि पोर्न पर प्रतिबंध को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब सरकार नेइंटरनेट की सेवा देने वाली 857 वेबसाइट पर प्रतिबंध का निर्देश दिया. लेकिन जब इस निर्देश का विरोध हुआ, तो सरकार पीछे हट गयी और मात्र चाइल्ड पोर्नोग्राफी को प्रतिबंधित किया.
* क्या है मामला
इंदौर के वकील कमलेश वासवानी ने सभी पोर्न साइट्सकोबंद करने के लिए एक याचिका दायर की थी. उन्होंने याचिका में कहा कि जिस तरह से ड्रग्स पर पूरे देश में बैन है उसी तरह से पोर्नोग्राफी पर भी बैन होना चाहिए.
* सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
एटॉर्नी जनरल ने मुकल रोहतगी ने आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि अगर कोई अकेले में पोर्न देखता है तो उसपर बैन नहीं लगाया जा सकता है. यह निजाता का हनन मामला हो सकता है. रोहतगी ने कहा कि इंटरनेट के इस दौर में सभी पोर्न वेबसाइट्स पर बैन नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हम किसी के बेड रूम में नहीं झांक सकते हैं. हालांकि अगर पोर्न पर पूरी तरह से बैन की बात उठती है तो इसके लिए सभी के सामने खुली बहस होनी चाहिए.
* पोर्न साइट्स पर बैन के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे
गौरतलब हो कि केंद्र सरकार की ओर से पोर्न साइट्स पर बैन लगाये जाने के बाद प्रदर्शन हुए थे. बढ़ते प्रदर्शन के बाद सरकार ने यूटर्न लेते हुए केवल साइर्ल्ड पोर्नोग्राफी और ब्लू फिल्मों को छोड़कर सरकार ने सभी साइट्स के खिलाफ बैन हटा लिया था.