नयी दिल्ली : समझौता एक्सप्रेस के मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद को जमानत दी गयी. उनकी जमानत अब राजनीतिक रंग लेने लगी है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह समेत कई नेताओं ने स्वामी असीमानंद की जमानत पर एनआईए के आगे ना अपील करने के फैसले पर सवाल खड़े किये हैं.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, एनआईए का यह फैसला ठीक उसी तरह है जिस तरह पाकिस्तान में जकी उर रहमान लखवी को लेकर पाक सरकार का फैसला है.इस जमानत पर दिग्विजय सिंह ने भी सवाल खड़े किये और कहा हिंदू आतंकवाद के मुद्दे पर केंद्र सरकार नरम रुख अपना रही है. सरकार आरएसएस के एजेंडे को आगे ले जाना चाहती है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले में असीमानंद की जमानत पर आगे अपील ना करके क्या संदेश देना चाहती है.
असीमानंद की जमानत के बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं. भारत में 2006 से लेकर 2008 तक कई बम धमाके हुए. इन धमाकों में लगभग 120 लोग मारे गये और 400 लोग घायल हुए. इन बम धमाकों की जांच में एनआई ने काफी सुस्ती दिखायी. इन मामलों में आज तक सभी आरोपी है किसी को दोषी करार नहीं दिया गया है. हैदराबाद में हुए धमाके के बाद 2010 मे शक की सूई असीमानंद की तरफ गयी और उन्हें गिरफ्तार किया गया.
शुरुआत में असीमानंद ने कबूल किया कि इन धमाकों में वह शामिल थे लेकिन कोर्ट में उन्होंने अपना बयान बदल दिया और कहा कि पुलिस के दबाव में आकर उन्होंने यह बयान दिया था. पिछले दिनों मुंबई बम ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया. इस फांसी के विरोध में कई राजनीतिक पार्टियां खड़ी हुई. उन्होंने सवाल खड़ा किया कि बाबरी मस्जिद, समझैता ब्लास्ट, हैदराबाद ब्लास्ट के कई आरोपियों पर अभी भी मामले चल रहे हैं.
सरकार इसमें कोई ठोस फैसला नहीं ले रही है. असुद्दीन ओवैसी सरीखे नेताओं ने इन मामलों में तेजी लाने और उन्हें सजा दिलाने को लेकर कई सवाल खड़े किये. अब असीमानंद की जमानत पर हुई रिहाई ने विरोधी पार्टियो को एक और मौका दे दिया है जब उनकी मंशा पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं.
असीमानंद की जमानत पर हुई रिहाई को लेकर पाकिस्तान को भी बैठे बिठाये एक मौका मिल गया है. पाकिस्तान इस रिहाई को पड़ोंसी मुल्कों के साथ होने वाली बैठक में उठा सकता है. समझौता एक्सप्रेस के विस्फोट के मामले में पाकिस्तान भी इस मामले पर अपनी कड़ी नजर बनाये हुए है.