OROP पर पूर्व सैनिकों ने पीएम के भाषण को किया खारिज, आंदोलन तेज करने की चेतावनी
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन रैंक वन पैंशन संबंधी वार्ता को अंतिम चरण में बताने के बावजूद किसी निश्चित समय सीमा के भीतर इसे लागू करने का आज कोई वायदा नहीं किया, जिसे लेकर पूर्व सैन्यकर्मियों ने कडी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अपना विरोध तेज करने का संकल्प लिया. 69वें स्वतंत्रता दिवस […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन रैंक वन पैंशन संबंधी वार्ता को अंतिम चरण में बताने के बावजूद किसी निश्चित समय सीमा के भीतर इसे लागू करने का आज कोई वायदा नहीं किया, जिसे लेकर पूर्व सैन्यकर्मियों ने कडी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अपना विरोध तेज करने का संकल्प लिया.
69वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने केवल यह आश्वासन देने तक खुद को सीमित रखा कि सरकार ने सैद्धांतिक रूप से ओआरओपी की मांग स्वीकार कर ली है और वह इसकी रूपरेखा तैयार कर रही है. जंतर-मंतर पर 62 दिनों से वन रैंक वन पेंशन की मांग पर क्रमिक भूख हडताल पर बैठे पूर्व सैन्यकर्मियों ने बडी एलसीडी स्क्रीन पर बहुत उत्सुकता से मोदी का भाषण सुना, लेकिन ओआरओपी का संक्षिप्त जिक्र समाप्त होने के बाद उन्होंने स्क्रीन बंद कर दी. मोदी ने सैनिकों को देश की ताकत, खजाना और उर्जा बताते हुए स्वीकार किया कि उनके सत्ता में आने के बावजूद लंबे समय से लटकी ओआरओपी की समस्या का समाधान अभी नहीं मिल पाया है.
मोदी ने कहा कि कई वर्षों में कई सरकारें आई और गई हैं और ओआरओपी की समस्या उन सभी के सामने आई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सैद्धांतिक रूप से ओआरओपी को स्वीकार कर लिया है, लेकिन विभिन्न पक्षों के साथ वार्ता अब भी जारी है.
इसके बाद पूर्व सैन्यकर्मियों ने एक प्रेस कान्फ्रेंस कर मोदी के भाषण को खारिज दिया और शांतिपूर्ण ढंग व कानून सम्मत तरीके से अपने आंदोलन को कल से ही तेज करने का एलान किया. उन्होंने एलान किया कि अब हम सरकारी कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे.
मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा, मुझे खेद के साथ कहना पड रहा है कि सैद्धांतिक रूप से इसे 17 महीने पहले स्वीकार कर लिया गया था और उन्होंने भी इसे स्वीकार किया था. मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि कौन-सी बात ओआरओपी का क्रियान्वयन रोक रही है. एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी की बेटी एवं एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी की पत्नी दीपा नेब ने कहा, हमें प्रधानमंत्री ने निराश किया है. हम बिना किसी बदलाव के ओआरओपी चाहते हैं. कौन सी वार्ता और कितनी लंबी वार्ता? कहां हैं जनरल वीके सिंह, कहां हैं कर्नर राठौड? उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
कर्नल ठकराल (सेवानिवृत्त) ने कहा, हम केवल प्रधानमंत्री के आदेश पर युद्ध में जाते हैं. मैं सेवानिवृत्त हूं लेकिन यदि मोदी एक प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे खडा होने और युद्ध पर जाने का आदेश देते हैं तो मैं हिचकिचाउंगा नहीं. वह जानते हैं कि मुझे पर भरोसा किया जा सकता है लेकिन मुझे अब उन पर भरोसा नहीं है. एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर ने कहा, मोदी ने बार.बार टीम इंडिया कहा है, वास्तव में टीम इंडिया ने आज असली टीम इंडिया को हरा दिया. क्या हम टीम इंडिया का हिस्सा नहीं हैं? सेवानिवृत्त विंग कमांडर के एस परिहार ने कहा, यदि यह तीन या चार साल की बात होती… तो यह समझ आता है कि इसमें समय लगता है. लेकिन क्या इसमें 43 वर्ष लगते हैं?