नयी दिल्ली : यहां स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम के अक्षरों के समान छात्रों को खडा करने को लेकर आलोचनाओं का सामना करने पर आप सरकार ने आज कहा कि यह बरसों से चले आ रहे परंपराओं के अनुसार था. केजरीवाल का नाम कयी डिजाइनों में था जिनमें तिरंगा और ‘थैंक्यू’ शामिल है जिसे छात्रों ने आयोजन स्थल छत्रसाल स्टेडियम में रंग बिरंगे कपडों से बनाया था. दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा, ‘हमने इस बारे में छानबीन की और पता चला कि यह एक परंपरा है. यह होता रहा है जो सही नहीं है.’
सरकार ने भी तस्वीरें जारी कर इस तरह के डिजाइन दिखाएं. जिसमें पिछले ऐसे आयोजनों में एक में उपराज्यपाल नजीब जंग का नाम है और एक में शीला दीक्षित का नाम है. सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘मुझे लगता है कि यह जानबूझ कर किया गया. पिछले साल स्कूली बच्चों ने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में एलजी का नाम प्रदर्शित किया था. इसके पहले भी मुख्यमंत्री का नाम नियमित रूप से प्रदर्शित किया जाता रहा है.’
कांग्रेस प्रदेश प्रमुख अजय माकन ने इसे शर्मनाक बताया वहीं दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने स्वतंत्रता दिवस समारोह का राजनीतिक रूप से दुरुपयोग करने को लेकर सरकार की निंदा की. अधिवक्ता एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया कि ‘जय हिंद’ की बजाय ‘जय हो केजरीवाल’ के विज्ञापन को केजरीवाल ने बढावा दिया. सोशल मीडिया पर भी ये तस्वीरें वाइरल हो गईं.
केजरीवाल ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ‘तालमेल’ पर दिया जोर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार के साथ कई महीने के कडवे सत्ता संघर्ष के बाद आज स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में यह कहते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ‘तालमेल’ पर जोर दिया कि एक सहयोगी दृष्टिकोण विकास के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र में ‘मतभेद’ हितकारी हैं. केजरीवाल ने 40 मिनट के अपने भाषण में आप सरकार के पहले छह महीने की ‘अभूतपूर्व’ उपलब्धियों विशेष तौर पर सामाजिक क्षेत्रों और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में किये गये कार्यों को गिनाया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक ‘ईमानदार मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारी हैं.’ उन्होंने तिरंगा फहराने के बाद दिये अपने संबोधन के आखिर में कहा, ‘मेरा मोदीजी के साथ राजनीतिक मतभेद है लेकिन मतभेद लोकतंत्र के लिए हितकारी होते हैं, मतभेद होना अच्छी बात है. यद्यपि दोनों के बीच तालमेल भी जरुरी है. ऐसी सहयोगी व्यवस्था विकास के लिए जरुरी है. चूंकि हम सरकार चला रहे हैं, हमारे बीच प्रमुख वैचारिक मतभेद होने के बावजूद काम करने की एक व्यवस्था होनी चाहिए.’
उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीडितों को चेक वितरण का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह की इसके लिए प्रशंसा की कि उन्होंने तहे दिल से इस मुद्दे पर उनकी सरकार का सहयोग किया. उन्होंने कहा कि पीडितों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये प्रदान किये जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘चेक जल्द वितरित किये जाएंगे और मैं चाहता हूं कि पहला चेक राजनाथ सिंहजी की ओर से दिया जाए.
उन्होंने भरोसा दिया है कि इसके लिए धनराशि केंद्र द्वारा दी जाएगी.’ दिलचस्प बात यह रही कि केजरीवाल ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र आदि मुद्दों को लेकर जारी सत्ता संघर्ष का उल्लेख नहीं किया. छत्रसाल स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली होम गार्ड, सिविल डिफेंस, एनसीसी और दिल्ली फायर सर्विसेज कर्मियों की टुकडियों की सलामी ली.