मुंबई: वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर केंद्र से तत्काल कार्रवाई का आग्रह करते हुए भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने आज कहा कि दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ओआरओपी की मांग कर रहे पूर्व सैनिकों से जिस तरह का व्यवहार किया गया, वह शर्मनाक और स्तब्धकारी है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा, दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि पूर्व सैनिक प्रदर्शन स्थल से नहीं हटे तो वह उन्हें ठोकर तक मारने को तैयार थी. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हुई यह घटना शर्मनाक और स्तब्धकारी है. वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग को उचित बताते हुए शिवसेना ने कहा, यदि रैंक समान है तो पेंशन भी समान होनी चाहिए.
यह प्रकृति का कानून है. लेकिन इन लोगों को न्याय पाने के लिए खुद अपनी सरकार से लड़ना पड़ रहा है. यह मांग कई वर्षों से चली आ रही है और यह उचित भी है. शिवसेना ने कहा कि सांसद, विधायक और सरकारी कारिंदे अपना वेतन बढ़वा लेने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन दुरुह मौसम परिस्थितियों में गोलियों का सामना करने वालों की मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा.
इसने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करना मोदी सरकार की जिम्मेदारी है कि पूर्व सैनिकों के साथ हो रहा अन्याय बंद हो.शिवसेना ने कहा, भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर 2013 को रेवाडी में पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए वायदा किया था कि उनकी सरकार वन रैंक वन पेंशन लागू करेगी. तब से डेढ़ साल हो गया है. केंद्र को मुद्दे पर तत्काल कदम उठाना चाहिए.