भारत और पाक के बीच सुलह का कोई विकल्प नहीं : महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर : सत्तारुढ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने आज कहा कि नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति के चलते भारत और पाकिस्तान को सभी लंबित मुद्दों के जायज और व्यावहारिक समाधान के लिए बातचीत की अनिवार्यता को समझना चाहिए. पडोसी देशों के बीच सुलह के अलावा और कोई विकल्प नहीं होने की दलील देते हुए पीडीपी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2015 8:37 PM

श्रीनगर : सत्तारुढ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने आज कहा कि नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति के चलते भारत और पाकिस्तान को सभी लंबित मुद्दों के जायज और व्यावहारिक समाधान के लिए बातचीत की अनिवार्यता को समझना चाहिए.

पडोसी देशों के बीच सुलह के अलावा और कोई विकल्प नहीं होने की दलील देते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को अंजाम दिये जाने के मद्देनजर शांति प्रक्रिया को पहुंचे आघात का समाधान खोजने के महत्व को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा, भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती के व्यापक परिप्रेक्ष्य में पीडीपी जम्मू कश्मीर की जनता के लिए सम्मान की जरुरत और अवसर को देखती है और उसके लिए प्रयासरत है. हम अपने देश और पाकिस्तान के बीच सुलह तथा वार्ता के अलावा और कोई विकल्प नहीं देखते.
महबूबा ने कहा, दोनों देशों के झगडे से सबसे ज्यादा असर राज्य की जनता पर पडा है और सीमाओं तथा एलओसी पर घटी रहीं घटनाओं से दोनों देशों को बैठकर बात करने तथा सभी विवाद के विषयों के उचित और व्यावहारिक समाधान निकालने की अनिवार्यता की जरुरत का एहसास होना चाहिए. वह दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहीं थीं.
पीडीपी अध्यक्ष ने पुंछ जिले के बालाकोट क्षेत्र में सीमापार से गोलेबारी में नागरिकों की मौत की घटनाओं पर दुख जताया. उन्होंने कहा, मैं सीमापार से गोलेबारी में मारे गये बेगुनाह लोगों के परिवारों के प्रति दिल से संवेदना प्रकट करती हूं वहीं मैं इसमें शामिल पक्षों से तनाव को कम करने का तथा लोगों को शांति से राज्य में रहने देने का अनुरोध करंगी. अनंतनाग की सांसद ने यह बात दोहराई कि घाटी में शांति प्रक्रिया को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं और प्रधानमंत्री को इस तरह के प्रयासों के मद्देनजर अपने प्रयास तेज करने चाहिए.
उन्होंने कहा, निर्णायक जनादेश के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास उपमहाद्वीप में सुलह की प्रक्रिया में नयी जान डालने का अवसर है. जम्मू कश्मीर में सीमाओं पर बनी हुई चिंताजनक स्थिति समग्र वार्ता प्रक्रिया को नये सिरे से शुरु करने की आवश्यकता बताती है.
महबूबा ने कहा कि 2002 से 2005 के बीच महत्वपूर्ण सामंजस्य वाले कदमों से जम्मू और कश्मीर के आसपास बाहरी और भीतरी दोनों मोर्चों पर न केवल क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य में सुधार में मदद मिली थी बल्कि राज्य में भी हालात सुधरे थे. उस समय पीडीपी सत्ता में थी.

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