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FTII का सच जानने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित, पर सरकार का पद से हटाने से इनकार

पुणे : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की जमीनी स्थिति के आकलन के लिए भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक एस एम खान की अगुवाई में एक तीन सदस्यीय टीम बनायी है. अधिकारियों ने बताया कि खान और दो अन्य अधिकारी एफटीआईआई का दौरा करेंगे जहां विद्यार्थी गजेंद्र चौहान […]

पुणे : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की जमीनी स्थिति के आकलन के लिए भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक एस एम खान की अगुवाई में एक तीन सदस्यीय टीम बनायी है. अधिकारियों ने बताया कि खान और दो अन्य अधिकारी एफटीआईआई का दौरा करेंगे जहां विद्यार्थी गजेंद्र चौहान को अध्यक्ष नियुक्त किये जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उसके बाद यह समिति सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी. लेकिन सरकार के सूत्रों के अनुसार सरकार अपना निर्णय नहीं बदलने वाली है, क्योंकि ऐसा करने से गलत परंपरा की शुरुआत होगी और सरकार पर किसी भी निर्णय को बदलने के लिए दबाव बनाया जा सकेगा.

वहीं दूसरी ओरएफटीआईआई के निदेशक प्रशांत पथरबे ने आज मीडिया से बात की और अपना पक्ष स्पष्ट किया. पथरबे ने मीडिया को बताया कि सोमवार की रात संस्थान के विद्यार्थियों ने उन्हें8-10 घंटे कैद करके रखा. उन्होंने कहा था कि वे छह लोग बातचीत के लिए आयेंगे, लेकिन वे 40-50 आयेऔर मुझपर दबाव बनाया, उनसे बातचीत के अलावा मेरे पास कोई दूसरा चारा नहीं था.

मूल्याकंन पर बातचीत के बाद जब मैंने उन्हें अपना निर्णय सुनाया, तो वे वहां से जाने नहीं दे रहे थे. शुरुआत के दो-चार घंटे तक मैंने पुलिस को नहीं बुलाया, लेकिन जब वे बाद के घंटों में भी अपने रवैये में बदलाव नहीं ला रहे थे, तो मेरे पास कोई चारा नहीं था, सिवाय पुलिस को सूचना देने के.

उन्होंने एक चेन का निर्माण कर लिया था और वे मुझसे पूछताछ कर रहे थे, मौखिक अत्याचार कर रहे थे. जैसे ही पुलिस आयी, वे हाथापाई करने लगे. उन्होंनेऑफिस का टेलीफोन, फर्निचर तोड़दिया.यह सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से किया गया था, जिसका उद्देश्य संस्थान और निदेशक की छवि को बर्बाद करना था.

उन्होंने कहा कि इतना सबकुछ होने के बाद मुझे प्राथमिकी दर्ज कराने जैसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाना पड़ा. मेरे पास दूसरा कोई उपाय नहीं था,स्टूडेंट्स ने जिस तरह का गैरकानूनी काम किया, उसके बाद उन्हें बढ़ावा देनेका कोई मतलब नहीं था. सोमवार की रात को जो कुछ मेरे साथ स्टूडेंट्स ने किया, उसके बाद मैं सकते में हूं और मुझे इस सदमे से निकलने में कुछ समय लगेगा.

एफटीआईआई की स्थिति का आकलन के लिए तीन सदस्यीय समिति बनायी

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की जमीनी स्थिति के आकलन के लिए भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक एस एम खान की अगुवाई में एक तीन सदस्यीय टीम बनायी है. अधिकारियों ने बताया कि खान और दो अन्य अधिकारी एफटीआईआई का दौरा करेंगे जहां विद्यार्थी गजेंद्र चौहान को अध्यक्ष नियुक्त किये जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा, खान की अगुवाई वाली टीम कल पुणे का दौरा करेगी और वहां की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देगी. टीम में मंत्रालय के दो और अधिकारी शामिल हैं. कल आधी रात को पुलिस ने एफटीआईआई परिसर से पांच विद्यार्थियों को दंगा फैलाने एवं अन्य अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किया. उससे पहले सोमवार को कुछ हड़ताली विद्यार्थियों ने अधूरी डिप्लोमा परियोजनाओं के अतर्कसंगत और अनुचित मूल्यांकन का विरोध करते हुए संस्थान के निदेशक प्रशांत पथरबे का घेराव किया था.
पुलिस के अनुसार संस्थान के निदेशक पथरबे की शिकायत पर 15 विद्यार्थियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. उनमें से पांच भादसं की धारा 353 के तहत दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किये गये. विद्यार्थी भाजपा सदस्य एवं टीवी अभिनेता गजेंद्र चौहान को संस्थान का अध्यक्ष नियुक्त किये जाने का पिछले 69 दिनों से विरोध कर रहे हैं.

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