नयी दिल्ली : शिक्षा के क्षेत्र में देश की अग्रणी सलाहकार इकाई ने आज आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति को वापस लेने और दसवीं में बोर्ड की परीक्षा की व्यवस्था को पुन: बहाल करने का समर्थन किया. लेकिन सरकार इस सिफारिश पर अमल करने की जल्दी में दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि उसने राज्यों से लिखित में अपने विचार पेश करने को कहा है. नवगठित केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड (कैब) ने दिनभर चली बैठक के बाद कैब की उप समिति की सिफारिशों के मद्देनजर सर्वसम्मति से कक्षा दर कक्षा आगे बढाने की नीति को फिर से पेश करने पर सहमति जतायी और कहा कि फेल नहीं करने की नीति ने शिक्षण के नतीजों को गलत तरीके से प्रभावित किया है.
हालांकि बैठक की अध्यक्षता करने वाली मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक नोट लगाया कि उनका मंत्रालय राज्यों से औपचारिक रूप से लिखित में उनके विचार मिलने के बाद ही ‘व्यापक रुख’ अपनाएगा. उन्होंने कहा, ‘सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने सर्वसम्मति से इस नीति को रद्द करने की अपील की. लेकिन सभी हमें लिखित में 15 दिन से लेकर एक महीने के भीतर जवाब दें.’ उन्होंने साथ ही कहा कि इस समय किसी भी प्रकार की अटकलबाजी से केवल छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होगी. यदि यह फैसला लागू हो जाता है तो इसे क्रियान्वित करने में समय लगेगा क्योंकि ऐसा होने पर संसद को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन करना होगा.
वर्ष 2010 में इस अधिनियम को लागू करने के बाद फेल नहीं करने और दसवीं की बोर्ड की परीक्षा को वैकल्पिक बनाने की व्यवस्था लागू की गयी थी. यह पूछे जाने पर कि यदि दसवीं बोर्ड परीक्षा को फिर से बहाल किया जाता है तो क्या फेल नहीं करने की नीति रद्द कर दी जाएगी, ईरानी ने हां में जवाब दिया. कुछ राज्य पहले ही राज्य के नियमों में जरुरी संशोधन करके इस नीति को रद्द कर चुके हैं.