13.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोयला घोटाला : महुआगढ़ी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व कोयला सचिव व तीन अन्य को जमानत

नयी दिल्ली : झारखंड में महुआगढ़ी कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े कोयला घोटाले के एक मामले में विशेष अदालत ने पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और तीन अन्य को आज जमानत दे दी. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने गुप्ता, दो वरिष्ठ सरकारी सेवकों – के एस क्रोफा और के सी समरिया तथा […]

नयी दिल्ली : झारखंड में महुआगढ़ी कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े कोयला घोटाले के एक मामले में विशेष अदालत ने पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और तीन अन्य को आज जमानत दे दी. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने गुप्ता, दो वरिष्ठ सरकारी सेवकों – के एस क्रोफा और के सी समरिया तथा कारोबारी निदेशक मनोज कुमार जायसवाल को एक-एक लाख रुपये की जमानत राशि और इतने के ही मुचलके पर जमानत दे दी.

अदालत ने इन लोगों को बतौर आरोपी उस मामले में समन जारी किया था जिसमें महुआगढ़ी कोयला ब्लॉक का आरोपी कंपनी मेसर्स जस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड (जेआईसीपीएल) को आवंटन किया गया था.सुनवाई के दौरान एजेंसी ने अदालत को बताया कि आरोप पत्र के साथ दायर किये जाने वाले दस्तावेज की प्रतियां अभी तैयार नहीं हो पायी हैं. एजेंसी ने आरोपी को इसे दिये जाने के लिए कुछ समय की मांग भी की.
हालांकि, अदालत ने कहा कि सीबीआई को दस्तावेज पहले ही तैयार कर लेने चाहिए थे क्योंकि आरोपी को समन करने का आदेश पिछले महीने जारी किया गया था.न्यायाधीश ने मामले की अगली सुनवाई सात सितंबर मुकर्रर करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘जांच अधिकारी ने कहा है कि उन्हें कई मामलों में दस्तावेज देना है, इसलिए आरोपियों को दस्तावेज की प्रतियां दिये जाने के लिए उन्हें कुछ समय की जरूरत है.

अदालत ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की संबंधित धाराओं और आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) धारा 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के साथ, धारा 420 (धोखाधडी) के तहत अपराध के लिए सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद 31 जुलाई को आरोपियों के खिलाफ समन आदेश जारी किया था.

अदालत ने गत वर्ष 20 नवंबर को इस मामले में दायर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और एजेंसी को मामले की और जांच करने को कहा था.अदालत ने कहा था कि राज्यसभा सांसद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्रों में तथ्यों की गलत व्याख्या की. अदालत ने कहा था कि दर्डा ने छत्तीसगढ में फतेहपुर (पूर्वी) कोयला ब्लॉक का आवंटन जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में हासिल करने के लिए ऐसा किया था.दर्डा लोकमत समूह के अध्यक्ष हैं.
अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया निजी पक्षों और लोक सेवकों के बीच हुई साजिश को आगे बढ़ाते हुए निजी पक्षों ने धोखाधड़ी की.सीबीआई ने इस मामले में दर्डा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.दर्डा जेएलडी फर्म के निदेशक भी थे.
अदालत ने कहा, दर्डा ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री को 18 जून 2007 और छह अगस्त 2007 को लिखे अपने पत्र में विशेष रूप से दावा किया था कि मेसर्स जेएलडी को लोकमत समूह और आईडीएफसी द्वारा प्रोत्साहित, प्रबंधित और नियंत्रित किया जाता है.लोकसेवकों की कथित भूमिका पर अदालत ने कहा था कि प्रथमदृष्टया यह स्पष्ट है कि कोयला मंत्रालय और अनुवीक्षण समिति मेसर्स जेएलडी को हर कीमत पर फतेहपुर (पूर्वी) में विवादित कोयला ब्लॉक आवंटित करना चाहती थी.

अदालत ने कहा कि सरकारी सेवकों का देश के राष्ट्रीयकृत प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण है और उन्होंने प्रथमदृष्टया केवल जनहित के खिलाफ ही काम नहीं किया बल्कि उस विश्वास को भी तोड़ा जो कानून ने उन पर किया.जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को 35वीं अनुवीक्षण समिति ने फतेहपुर (पूर्वी)कोयला ब्लॉक आवंटित किया था.

सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में पहले आरोप लगाया था कि जेएलडी यवतमाल ने गलत तरीके से यह छुपाया कि उसके समूह की कंपनियों को पूर्व में 1995 से 2005 के बीच चार कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए थे लेकिन बाद में सीबीआई ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दी कि कोयला मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन में मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड को कोई अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें