अलगाववादी नेताओं को छोड़े जाने पर BJP नेता ने मुफ्ती सरकार को बर्खास्त करने की मांग की

जम्मू : जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन में आज उस वक्त दरार देखने को मिली जब भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने शीर्ष अलगाववादी नेताओं को नजरबंद किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर छोडे जाने को लेकर राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर डाली. भाजपा नेता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2015 3:57 PM
जम्मू : जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन में आज उस वक्त दरार देखने को मिली जब भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने शीर्ष अलगाववादी नेताओं को नजरबंद किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर छोडे जाने को लेकर राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर डाली.
भाजपा नेता प्रोफेसर हरी ओम ने कहा, सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक जैसे देशद्रोहियों को दो घंटे के भीतर रिहा कर आज मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जो कुछ किया है, उसके लिए उनकी सरकार को बर्खास्त करना अब जरुरी हो गया है.
हरी ओम ने कहा, राज्यपाल एन एन वोहरा से कहा जाना चाहिए कि वह जम्मू-कश्मीर के संविधान का अनुच्छेद लागू करें ताकि मुफ्ती सरकार का वजूद न रहे. सईद पर पाकिस्तानी हितों का प्रतिनिधित्व करने का आरोप लगाते हुए ओम ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनका पद पर बने रहना संप्रभु हितों के लिए काफी नुकसानदेह होगा.
*कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लिये जाने पर उमर अब्दुल्ला ने की मुफ्ती सरकार की आलोचना
सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक सहित शीर्ष कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को आज सुबह नजरबंद कर लिया गया और फिर कुछ ही घंटे बाद इससे मुक्त कर दिया गया. इस कार्रवाई को पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के साथ दिल्ली में रविवार को उनकी प्रस्तावित बैठक से जोडकर देखा जा रहा था. पुलिस ने आज सुबह हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारवादी धडे के प्रमुख मीरवाइज उमर फारुक, मौलाना मोहम्मद अब्बास अंसारी, मोहम्मद अशरफ सेहराई, शब्बीर अहमद शाह और अयाज अकबर सहित कई अलगाववादी नेताओं की गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई थी.
पहले से ही नजरबंद हुर्रियत कान्फ्रेंस के कट्टरपंथी धडे के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के हैदरपुरा स्थित घर के बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए. जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक को मैसुमा स्थित उनके आवास से एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था और कोठीबाग थाने में बंद कर दिया गया था. अलगाावादी नेताओं को हिरासत में लेने के कारणों पर अधिकारी खामोश हैं, लेकिन अटकलें थीं कि यह पाकिस्तान को यह संदेश देने के लिए हो सकता है कि अलगाववादी नेताओं से बातचीत ठीक नहीं है, खासकर ऐसे समय जब दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक होनी है.
लेकिन अधिकारियों ने यू टर्न लेते हुए अलगाववादी नेताओं पर लगाई पाबंदियां कोई कारण बताए बिना हटा लीं. एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, आज सुबह हिरासत में लिए गए या नजरबंद किए गए सभी अलगाववादी नेताओं को रिहा कर दिया गया है. हालांकि, हुर्रियत के कट्टरपंथी धडे के प्रवक्ता अकबर ने कहा कि अन्य नेताओं को रिहा कर दिया गया है, लेकिन गिलानी अब भी नजरबंद हैं.
अकबर ने अपनी रिहाई के तुरंत बाद कहा, हम नेतृत्व को नजरबंद किए जाने और फिर दो घंटे के भीतर ही रिहा किए जाने के कारणों के बारे में कुछ भी कहने में अक्षम हैं. कुल मिलाकार हम कह सकते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. पुलिस ने आज सुबह दूसरी कतार के अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लेने के लिए छापेमारी की, लेकिन उन्हें भी रोक दिया गया. दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने गिलानी को 24 अगस्त को अजीज से मुलाकात करने के लिए आमंत्रित किया है. अजीज भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिलने दिल्ली आ रहे हैं. उदारवादी अलगाववादी नेताओं को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग ने भारत आ रहे पाकिस्तानी अधिकारी के लिए आयोजित भोज में 23 अगस्त को आमंत्रित किया है. भारत ने पिछले साल पाकिस्तानी राजनयिक द्वारा इस्लामाबाद में बैठक से पहले चर्चा के लिए अलगाववादी नेताओं को आमंत्रित किए जाने के आधार पर विदेश सचिव स्तर की वार्ता स्थगित कर दी थी.
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की आलोचना करते हुए विपक्षी दल नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य सरकारों ने हुर्रियत नेताओं को दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग जाने से रोकने के लिए विगत में कभी भी उन्हें हिरासत में नहीं लिया. उन्होंने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता अंतरराष्ट्रीय दबाव में हो रही है और दोनों देश इस उम्मीद में हैं कि सामने वाला पीछे हट जाएगा. पूर्व मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, गोलाबारी, घुसपैठ, आतंकी हमले और अब हुर्रियत नेताओं की गिरफ्तारी, इससे स्पष्ट पता चलता है कि कोई भी पक्ष वार्ता नहीं करना चाहता और न ही किसी में इसे खारिज करने का साहस है.

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