ढुलमुल कूटनीति से भारत को नुकसान : कांग्रेस

नयी दिल्ली : कश्मीरी अलगाववादियों के मुद्दे के कारण भारत-पाकिस्तान की प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार स्तरीय वार्ता के खटाई में पड़ने के खतरे के बीच कांग्रेस ने आज पाकिस्तान से जुडी नीति को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार ने अपना मजाक बनवा लिया है और उकसावों के बावजूद वह स्पष्ट संदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2015 4:58 PM

नयी दिल्ली : कश्मीरी अलगाववादियों के मुद्दे के कारण भारत-पाकिस्तान की प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार स्तरीय वार्ता के खटाई में पड़ने के खतरे के बीच कांग्रेस ने आज पाकिस्तान से जुडी नीति को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार ने अपना मजाक बनवा लिया है और उकसावों के बावजूद वह स्पष्ट संदेश भेजने में नाकाम रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, मुंबई हमले केबाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान कई सालों तक दोषी के रूप में खड़ा रहा यह संभव तभी हुआ जब हमारी कूटनीति बेहतरीन थी. अब सरकार एक छोटे मुद्दे को बड़ा बना रही है जबकि सीमा पर जवान मारे जा रहे है. सीजफायर का उल्लंघन हो रहा है. सरकार के पास एजेंडे की कमी है या दबाव है.

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की ढुलमुल कूटनीति देश को बहुत नुकसान पहुंचा रही है. हालांकि भारत ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया था कि जब उसके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार सरताज अजीज अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल के साथ वार्ता के लिए यहां आएं तो वह कश्मीरी अलगाववादियों के साथ बैठक न करें. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पाकिस्तान के साथ जिस तरह की नीति भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार अपना रही है उससे वह अपना मजाक बनवा रही है.
तिवारी ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने भी इस बातचीत को रद्द करने की वकालत की है और कहा है कि यह पडोसी देश के प्रति पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति के साथ विश्वासघात है.
उन्होंने कहा, जिस तरीके से पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार सरताज अजीज और पाकिस्तान बर्ताव कर रहे हैं, उससे वे यह स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि उन्हें बातचीत में दिलचस्पी नहीं है. कांग्रेसी नेता ने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार ने यह जानकारी भी नहीं भेजी है कि भारत में अपने एक दिवसीय प्रस्तावित दौरे के दौरान उनका कार्यक्रम क्या है. इसलिए, श्रीमान प्रधानमंत्री, आपको देश को यह बताना होगा कि क्या आप पाकिस्तान से बात करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव में हैं? एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि भारत को बहुत पहले ही कडे संदेश भेज देने चाहिए थे. उन्होंने कहा, सीमा पर हमारे जवानों की बार-बार हत्याएं हुई हैं, बार-बार महिलाओं और बच्चों को मारा गया है. 20 साल बाद पंजाब के गुरदासपुर में हमला हुआ. एक पाकिस्तानी आतंकी उधमपुर में पकडा गया. ये ऐसे मौके थे, जब भारत को पाकिस्तान को कडा संदेश देने के लिए कदम उठा लेने चाहिए थे.

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