रतनगढ़ मंदिर हादसा: कलेक्टर, एसपी सहित 17 पुलिसकर्मी निलंबित
रतनगढ़ मंदिर भगदड़ : जिलाधिकारी सहित चार शीर्ष अधिकारी निलंबित रतनगढ हादसा:कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को निलंबित करने की सिफारिश दतिया :रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ के मामले में सरकारी अधिकारियों के निलंबन का सिलसिला शुरू हो गया है. इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में इलाके के कलेक्टर और एसपी सहित चार अधिकारियों […]
रतनगढ़ मंदिर भगदड़ : जिलाधिकारी सहित चार शीर्ष अधिकारी निलंबित
रतनगढ हादसा:कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को निलंबित करने की सिफारिश
दतिया :रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ के मामले में सरकारी अधिकारियों के निलंबन का सिलसिला शुरू हो गया है. इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में इलाके के कलेक्टर और एसपी सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. वहीं सरकार की ओर से 17 पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया है. मंदिर के पास हुई इस भगदड़ के बाद लोगों ने आरोप लगाया था कि कुछ पुलिसवालों ने रिश्वत लेकर ज्यादा गाड़ियों को आगे जाने दिया. जिस वजह से यह हादसा हुई
मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ के देवी मंदिर के निकट कल नवरात्र पर्व के अंतिम दिन मची भगदड में मरने वालों की संख्या 115 हो गयी है जबकि कांग्रेस ने इसे मानवनिर्मित त्रासदी बताते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग की.
इस्तीफा दें मुख्यमंत्रीः अजय सिंह
कल इस अफवाह के बाद मंदिर तक पहुंचने के तंग मार्ग पर भगदड मच गयी थी कि सिंध नदी पर बना पुल टूटने वाला है. इस भगदड में 100 लोग घायल भी हुए हैं. चंबल रेंज के उप महानिरीक्षक डी के आर्य ने रतनगढ से बताया, ‘‘अब तक हमें भगदड में 115 लोगों के मरने की सूचना है.’’
उन्होंने कहा कि कई लोग जो अपने निकट संबन्धियों के शव लेकर पहले चले गये थे, वे अब पोस्टमार्टम के लिये शव लेकर वापस आ रहे हैं क्योंकि मुआवजे के लिये यह जरुरी है. उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां अस्पताल में हादसे में घायल हुए श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के बाद संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा,‘‘राज्य शासन ने भगदड़ की घटना की न्यायिक जांच की घोषणा की है और उसे अगले दो दिनों में स्थापित कर दिया जायेगा’’.
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उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट अगले दो माह में मिल जायेगी और उसके पन्द्रह दिनों के अंदर दोषियों पर कार्रवाई कर दी जायेगी. मुख्यमंत्री घटनास्थल का भी दौरा करना चाहते थे, लेकिन निर्वाचन आयोग ने उन्हें ऐसा करने की मंजूरी नहीं दी. दतिया जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डा. आर एस गुप्ता ने कहा कि आज सुबह तक 111 शवों की ‘आटोप्सी’ की जा चुकी है. विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा कि प्रदेश के इतिहास के इस सबसे बड़े हादसे के बाद अगर मुख्यमंत्री चौहान में जरा भी संवेदनशीलता है, तो उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए.
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) आर्य ने कहा कि मरने वाले 115 लोगों में कितने पुरुष, महिलायें एवं बच्चे हैं, यह बताना इस समय संभव नहीं है, क्योंकि कई लोग अपने प्रियजनों के शव लेकर चले गए थे. रतनगढ़ मंदिर में कल नवरात्र के अंतिम दिन देवी दर्शन के लिए दतिया जिला एवं पड़ौसी उत्तरप्रदेश से भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं में उस समय भगदड़ मच गई थी, जब कथित रुप से सिंध नदी का पुल टूटने की अफवाह फैली थी. लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे और कई श्रद्धालु तो पुल से नदी में कूद गये.
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राज्य शासन ने निर्वाचन आयोग से मंजूरी मिलने के बाद हादसे की न्यायिक जांच कराने तथा मारे गए लोगों के परिवारों को डेढ़-डेढ़ लाख, गंभीर रुप से घायलों को 50-50 हजार एवं अन्य घायलों को 25-25 हजार रुपये की तात्कालिक मदद देने की घोषणा की है. हादसे के लिए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. सिंह ने माइक्रो ब्लागिंग साइट ‘ट्विटर’ पर कल रात लिखा कि रतनगढ़ मंदिर पहुंच मार्ग पर यातायात के लिए ‘नो-एंटरी’ क्षेत्र में पुलिस ने 200-200 रुपये लेकर ट्रैक्टर-ट्रालियों एवं अन्य वाहनों को जाने दिया.
मुख्यमंत्री ने ऐसे हादसों का राजनीतिकरण करने वालों की कड़ी आलोचना करते हुए माइक्रो ब्लागिंग साइट ‘ट्विटर’ पर कहा है, ‘‘किसी भी त्रासदी का राजनीतिकरण उचित बात नहीं है.’’दूसरी ओर, दिग्विजय सिंह ने कल रात राघौगढ़ से नई दिल्ली जाते हुए भोपाल के राजा भोज विमानतल पर संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत में आरोप लगाया कि ऐसी घटनाओं के लिए बड़े पदों पर भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा कारण है.
उन्होने आरोप लगाया कि जिलों में कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की पदस्थापना में पैसों का लेन-देन भाजपा राज में आम प्रवृत्ति है और पैसे देकर हुई पदस्थापना में अधिकारी अपने काम पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं.
केंद्रीय उर्जा राज्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिले के रतनगढ़ मंदिर के निकट कल मची भगदड़ के लिए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद आज हालात का जायजा लेने पहुंचे सिंधिया ने कहा, ‘‘हादसे को लेकर न्यायिक जांच की घोषणा भाजपा सरकार का मात्र एक ढकोसला है’’. उन्होने कहा कि हादसे के लिए दोषियों की शीघ्र पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरुरत है, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके.
सिंधिया ने कहा कि वर्ष 2006 में भी रतनगढ़ में ऐसा ही हादसा हुआ था और तब भी न्यायिक जांच आयोग गठित किया गया था, जिसने मार्च 2007 में सरकार को अपनी रिपोर्ट दे दी थी, लेकिन अब तक वह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई तथा यह भी नहीं बताया गया कि रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्यवाही की गई.
इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए उच्च न्यायालय ने पिछले माह सरकार को नोटिस दिया था, लेकिन उसका तक कोई उत्तर नहीं दिया गया. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ‘राहुल‘ ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि 2006 में इसी जगह उस हादसे के दोषियों को उन्होंने बचाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि वहां दूसरा हादसा हुआ और सैकड़ों निर्दोष श्रद्धालुओं की मौत हो गई.
इस बीच भाजपा उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने निर्वाचन आयोग की अनुमति नहीं मिलने के बाद आज अपना दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर का दौरा निरस्त कर दिया. उमा के भोपाल स्थित कार्यालय की आज यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘कल रात निर्वाचन अधिकारी द्वारा उनको (उमा) निर्देश दिया गया है कि माता मंदिर, जिला दतिया में आप चुनाव आयोग की अनुमति के बिना नहीं जायें.’’.