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केदारनाथ में हेलीकॉप्टर सेवाओं के खिलाफ हरित न्यायाधिकरण में पहुंचा एनजीओ

नयी दिल्ली: उत्तराखंड में केदारनाथ वन्यजीवन अभयारण्य के तहत आने वाले पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में हेलीकॉप्टरों के संचालन के कारण वहां के जीवों और वनस्पति पर मंडराते खतरे पर चिंता जाहिर करते हुए एक गैर सरकारी संगठन ने ऐसी सेवाओं को बंद करने की मांग करते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का रुख किया […]

नयी दिल्ली: उत्तराखंड में केदारनाथ वन्यजीवन अभयारण्य के तहत आने वाले पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में हेलीकॉप्टरों के संचालन के कारण वहां के जीवों और वनस्पति पर मंडराते खतरे पर चिंता जाहिर करते हुए एक गैर सरकारी संगठन ने ऐसी सेवाओं को बंद करने की मांग करते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का रुख किया है.

जो तीर्थयात्री उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने की 16 किलोमीटर की चढाई से बचना चाहते हैं, वे वहां तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर की सेवाएं लेते हैं.एनजीओ दोआबा पर्यावरण समिति ने दावा किया है कि धार्मिक पर्यटन ने केदारनाथ अभयारण्य के पारिस्थितिक तंत्र और जीव जंतुओं को गंभीर रुप से प्रभावित किया है. यह मामला अगले सप्ताह सुनवाई के लिए अधिसूचित हो सकता है.
वकील गौरव बंसल के मार्फत दायर इस याचिका में एनजीओ ने कहा कि एक शीर्ष वन्य अधिकारी ने भी अभयारण्य पर हेलीकॉप्टरों के कारण पडने वाले प्रभाव का हवाला देते हुए अधिकारियों को पत्र लिखा था। इसमें स्प्ष्ट तौर पर कहा गया था कि इन सेवाओं के कारण कस्तूरी हिरण और हिमालयी तहर जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों के जानवरों ने अपने प्राकृतिक आवास छोड दिए हैं.
याचिका में कहा गया कि पत्र में इस बात का जिक्र था कि कम उंचाई पर उडने वाले हेलीकॉप्टरों के कारण पैदा होने वाले शोर की वजह से इन संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रजनन पर भी गंभीर असर पडा है.याचिका में कहा गया, ‘‘उत्तराखंड के गोपेश्वर में स्थित केदारनाथ वन्यजीवन खंड में वन संरक्षक ने गोपेश्वर स्थित नंदादेवी जैवमंडल रिजर्व के वन संरक्षक को भी पत्र लिखा और उन्हें आगाह किया कि किसी भी उड्डयन कंपनी ने अधिकारियों से मंजूरी नहीं ली है और इसलिए ये अभयारण्य पर अवैध रुप से उड रहे हैं.’’

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